गाज़ीपुर के जिला कारागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कामायनी दूबे ने जेल का निरीक्षण किया गया। इसके साथ ही बंदियों को निःशुल्क अधिवक्ता, जेल लोक अदालत तथा उनकी जेल अपील से संबंधित अन्य जानकारी दी। इसके साथ ही अधिकारियों से कहा कि बंदियों को उनके कानूनी अधिकार दिए जाए।
973 बंदी हैं गाज़ीपुर जेल में
जेल अधीक्षक ने बताया कि वर्तमान में कुल 973 बंदी है। जिसमें 875 पुरूष, 38 महिला बंदियों के साथ कुल 1 बच्चे निरूद्ध हैं। 60 अल्पवयस्क है। सचिव ने शिविर में बताया कि सीआरपीसी में एक नया अध्याय 21ए जोड़ा गया था। इसमें धारा 265ए से 265एल को नये रूप से जोड़ा गया और प्ली बारगेनिंग का विवरण दिया गया।
मर्जी से स्वीकारता है अपराध
“प्ली बारगेनिंग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है” इस प्रक्रिया के तहत आरोपी अपने अपराध को मर्जी से स्वीकार करता है दोनों पक्षों के बीच होने वाला समझौता अदालत की देखरेख में होता है। समझौता के बाद मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी अपने गुनाह कबूल करता है। आरोपी की सजा उस केस की न्यूनतम सजा से आधी या उससे भी कम कर दी जाती है। कोविड-19 को देखते हुए नए बंदियों को पहले आइसोलेट रखने के साथ ही संदिग्ध लक्षण होने पर जांच और सेनेटाइजेशन के निर्देश दिए। सचिव ने जेल के कई बंदियों से बात कर उनकी समस्याओं को समझने के साथ ही उनके निस्तारण का निर्देश दिया।