वासंतिक नवरात्र पर विभिन्न मंदिरों व घरों में लोग शक्ति की उपासना में जुट गए हैं। नवरात्र के दूसरे दिन रविवार को मां आदि शक्ति के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की गयी। जिले के प्रमुख मंदिरों में भीड़भाड़ बनी रही। श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर श्रद्धाभाव से माता का दर्शन-पूजन किये।
दोपहर में नियत समय पर मंदिर के पट बंद कर दिये गये थे। जहां श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए खड़े रहे। फिर शाम को समय होते ही भक्तों के लिए मंदिरों में पट खोल दिये गये थे। जहां रात को निशा आरती तक दर्शन-पूजन करने का तांता लगा रहा। शहर के सभी माता मंदिरों में श्रद्धालु भोर पांच बजे से पहुंचना शुरू कर दे रहे हैं। माता के दरबार में हाजरी लगाना शुरू कर दे रहे हैं। श्रद्धा के साथ पुष्प, पूजा सामग्री से सजी थाली लेकर पूजा पाठ प्रारंभ कर दे रहे हैं। हर तरफ धूप-सुगंधित अगर की खुशबू से वातावरण पूरा भक्तिमय बना हुआ है।
मां कामाख्या धाम पर उमड़ी रही भीड़
वासंतिक नवरात्र के दूसरे दिन पूर्वांचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ के रूप में विख्यात मां कामाख्या धाम पर पूरे दिन दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। स्थानीय क्षेत्र के अलावा समीपवर्ती बिहार व जनपद से सटे अन्य जनपदों से श्रद्धालु दो पहिया व चार पहिया वाहनों से पहुंचकर भक्त माता का दर्शन कर अपने तथा अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना किये। यहां भोर से ही दर्शनार्थियों के आने जाने का जो क्रम शुरू हुआ, वह दोपहर 12:30 बजे कपाट बंद होने तक चला। इस बीच करीब पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने माता के भव्य रूप का दर्शन-पूजन किया। इसके बाद फिर 1:30 बजे से भक्तों के लिए पट खोल दिया गया थ। जहां कतार में खड़े श्रद्धालुओं ने माता के ममतामय स्वरूप का दीदार कर निहाल होते रहे।
फुल्ली स्थित माता मंदिर में जुटे रहे भक्त
चैट नवरात्र में मां दुर्गा की कई स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन अलग-अलग प्रकार के माता का आह्वान किया जाता है। ऐसे में दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की गयी। सभी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने माता के इस रूप का दर्शन-पूजन किया। क्षेत्र के फुल्ली स्थित दुर्गा मंदिर में प्रात:काल से दर्शन-पूजन का क्रम प्रारंभ हो गया था। इसके अलावा गिरनार आश्रम, लालीदेवी मंदिर, दिलदारनगर गांव सहित सहित सायरमाता मंदिर में भी पूजन अर्चन का क्रम चलता रहा।
हरिहरपुर में दक्षिणमुखी मां काली का है विशेष महत्व
वासंतिक नवरात्र के दूसरे दिन रविवार को सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखा कालीधाम हरिहरपुर में पूजन-अर्चन के लिये भक्तों की लंबी कतार लगी रही। मान्यता है कि हरिहरपुर स्थित मां काली मंदिर में स्थापित तीन मूर्तियां के दर्शन से श्रद्धालुओं के मनोरथ पूर्ण होते हैं। स्वामी भवानीनंदन यति ने बताया कि मंदिर में स्थापित दक्षिण मुखी प्रतिमाओं में पहली शव के ऊपर स्थापित है। सैकड़ों वर्ष पूर्व स्थापित इस प्रतिमा की एक अंगुली किसी कारणवश टूट गयी। गुरु ने खण्डित प्रतिमा के स्थान पर नई प्रतिमा मंगा रखी थी, उसे इसी प्रतिमा के ठीक बगल में स्थापित करा दिया गया। दो प्रतिमा होने के बाद तीसरी प्रतिमा की स्थापना कराया जाना अपरिहार्य हो गया। फलस्वरूप श्वेत प्रतिमा की स्थापना हुई। तीनों रूपों महा सरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के रूप में अर्चन-वंदन की जाती हैं।