काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने अपने नियुक्ति के 53 दिन बाद विश्वविद्यालय के 28वें कुलपति के रूप में शुक्रवार को पदभार ग्रहण किया। इस तरह देश के इस प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालय को 11 माह बाद स्थायी कुलपति मिल गए। प्रो. सुधीर कुमार जैन गुरुवार को वाराणसी पहुंच थे।
कुलपति ने गुरुवार की शाम को विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें नमन किया। देर शाम काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में बाबा का दर्शन किया। प्रो. जैन गुजरात के गांधीनगर आइआइटी में निदेशक थे। उनकी छवि तीव्र निर्णय लेने वाले कठोर व अनुशासनप्रिय प्रशासक की रही है। रुड़की आइआइटी के पूर्व छात्र रहे प्रो. जैन कानपुर आइआइटी में भी सेवाएं दे चुके हैं। बीएचयू के कुलपति के रूप में उनकी नियुक्ति बीते साल 13 नवंबर को हुई थी। दिसंबर माह में वह बनारस आए थे लेकिन तकनीकी कारणों से कार्यभार ग्रहण नहीं किया था। छह दिनों तक रहने के बाद वह वापस गांधीनगर चले गए थे।
फरवरी के मध्य में हो सकता है आइआइटी का दीक्षा समारोह
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीएचयू का दीक्षा समारोह आगामी फरवरी माह के मध्य में हो सकता है। प्रदेश में चुनाव की तिथियों व कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दृष्टिगत उत्पन्न परिस्थितियों के अनुसार आइआइटी प्रशासन इस संबंध में निर्णय ले सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्रों का दीक्षा समारोह न होने से लगभग 1500 छात्रों की डिग्री फंसी पड़ी है। इसके चलते उन्हें व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से बहुत से छात्रों का कैंपस सेलेक्शन भी हो चुका है। अब सेवाप्रदाता कंपनियों द्वारा उनसे डिग्री की मांग की जा रही है।
ऐसे में उन्हें बार-बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अन्य आइआइटी संस्थानों के दीक्षांत समारोह हो रहे हैं, अथवा उनकी तिथि निर्धारित हो चुकी है, ऐसे में बीएचयू आइआइटी की ओर से इस संबंध में कोई घोषणा न होने से उनमें बेचैनी व्याप्त है। आम तौर पर दीक्षा समारोह नवंबर या दिसंबर माह में हो जाया करता था। वर्ष 2020 का दीक्षा कोविड-19 महामारी के चलते विलंबित हुआ तो इसे 08 फरवरी 2021 में कराया गया। दीक्षा समारोह की तिथि भी एक-दो माह पूर्व ही तय कर ली जाती थी और छात्र तथा प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट जाते थे।