श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य व भव्य स्वरूप को लोकार्पण करने सोमवार को काशी आ रहे प्रधानमंत्री पहले बाबा को प्रणाम करेंगे, फिर कोई दूजा काम करेंगे। शनिवार को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की तैयारियों को युद्ध स्तर पर अंतिम रूप देने उच्च स्तरीय अधिकारी से लगायत कर्मचारी तक लगे हुए थे। गंगा घाट से लेकर गर्भगृह तक हर ओर सभी काम में लगे हुए थे।
अनेक ऐतिहासिक कालखंडों से गुजरता श्रीकाशी विश्वनाथ धाम आक्रांताओं द्वारा तोड़ दिया गया था। तब महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित कराया। काफी प्राचीन मंदिर संपूर्ण विश्व के सनातन धर्मावलंबियों का केंद्र है परंतु काफी संकरी गलियों से होकर बाबा का दर्शन करने पहुंचना काफी कष्टदायी था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे भव्य रूप देने की ठानी और धाम अब अपने नए कलेवर में तैयार है। इसका लोकार्पण करने प्रधानमंत्री 13 दिसंबर को सुबह 11 बजे के बाद लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पहुंचेंगे।
वहां से सेना के हेलीकाप्टर से वह संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बने हेलीपैड पहुंचेंगे। फिर सड़क मार्ग से खिड़किया घाट जाएंगे। वहां से क्रूज द्वारा गंगा के रास्ते श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचेंगे। मंदिर के पश्चिमी छोर पर बने जेटी पर उतरने के बाद कार द्वारा मंदिर तक जाने वाली स्वचालित सीढ़ियों से ऊपर पहुंचेंगे। वहां चौक द्वार पर उन्हें गंगाजल समेत देश की अन्य नदियों के जल का घड़ा सौंपा जाएगा। प्रधानमंत्री जल लेकर पैदल ही चौक होते हुए सीधे गर्भगृह में जाएंगे। वहां 11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा महादेव का जलाभिषेक व विधिवत पूजन-अर्चन कराया जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री धाम का लोकार्पण करेंगे। तत्पश्चात परिसर का भ्रमण कर उसकी छटा देखेंगे और वहां आयोजित अन्य कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
51 बटुक करेंगे स्वस्तिवाचन तो 51 वादकों के डमरू निनाद से गूंजेगा परिसर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब चौक द्वार से परिसर के भीतर की सीढ़ियों पर उतरेंगे तो श्री दयालु संस्कृत महाविद्यालय के 51 बटुकों द्वारा स्वस्तिवाचन कर उनका अभिनंदन किया जाएगा। इसके पश्चात पूजन के सयम गर्भगृह के बाहर 51 डमरूवादक डमरूनिनाद कर बाबा को रिझाएंगे। इससे पूरा वातावरण शिवमय व दिव्य हो जाएगा।