बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। इलाके के अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्र बीमार पड़े हैं। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। शासन बदहाल चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहा है। हम बात कर रहे हैं ब्लाक के भतौरा गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की। ऐसे में जच्चा-बच्चा के इलाज के लिए लोगों को मुश्किलें उठानी पड़ रही है।
भतौरा गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है। आरोप है कि शिकायत के बावजूद अधिकारी लापरवाह बने हैं। यहां नियुक्त एएनएम कभी - कभार गांव में आती हैं और कागजी कोरमपूर्ति कर चली जाती हैं। इससे नवजात शिशुओं व गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए भटकना पड़ता है। वर्षों पूर्व बना भवन जर्जर हो चुका है। यहां गंदगी का अंबार है। इसमें एएनएम व आशा कार्यकर्ता नहीं आती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ तो गर्भवती महिलाओं के उपयोग को मेज, कुर्सियां, आलमारी, बेड (शैय्या) मिले थे, जिसका उपयोग अन्यत्र किया जा रहा है। केंद्र के भवन की दीवारों का प्लास्टर व खिड़कियां उखड़ गई हैं। दरवाजा मौके से नदारद हैं।
भवन पेड़ - पौधों व झाड़ - झंखाड़ से घिरा है। गांव के ही कतिपय लोगों ने केंद्र में पशुओं को बांधकर और पशु चारा रखकर कब्जा कर लिया है। मौजूदा समय में बदहाल भवन के ठीक बगल में पंचायत भवन का निर्माण कराया जा रहा है। उप स्वास्थ्य केंद्र के भवन पर विभाग का ध्यान नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों बनी है। विभाग जानबूझकर बेखबर बना है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराया है।