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शंकुलधारा पोखरा किनारे 12 में से नौ लैंप पोस्ट खराब, 19 लाख खर्च के बाद भी बदहाली

शहर के दक्षिणी क्षेत्र के प्रसिद्ध पौराणिक पोखरों में शुमार शंकुल धारा पोखरे की हालत देखने लायक नहीं है। आश्चर्यजनक यह कि इसकी साज-सज्जा कराने के बाद रखरखाव की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। वर्ष 2017 में हृदय योजना के तहत इसका काया कल्प कराया गया था। हेरिटेज सिटी के अंतर्गत 18 लाख 83 हजार 701 रुपये खर्च किए गए थे। तब पोखरा देखने लायक बन पाया था। इस धन से ही पोखरे के चारों तरफ 12 स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई थीं जिनमें अब सिर्फ तीन ही जलती हैं। शेष खराब होकर शो पीस का कार्य कर रही हैं।

यहीं नहीं इससे भी खराब स्थिति पोखरे के चारों तरफ 12 की ही संख्या में लगाई गई हेरिटेज लुक वाली लाइट्स की है। सभी जमींदोज हो चुकी हैं। उनसे जमीन में कभी-कभी करंट उतर जाता है। इन लाइट्स के न जलने से पोखरे के चारों तरफ अंधेरा फैला रहता है। इससे यह स्थान जुआरियों व शराबियों का आश्रय स्थल बना हुआ है।

यहां अंधेरे में होता है मूर्तियों का विसर्जन

गंगा में मूर्तियों के विसर्जन की हाईकोर्ट की रोक के बाद इस पोखरे में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। विजया दशमी के दिन दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के समय तो प्रकाश की व्यवस्था तो होती है लेकिन सामान्य पर्वों जैसे वसंत पंचमी, गणेश मूर्ति विसर्जन, विश्वकर्मा जयंती आदि के समय श्रद्धालुओं को अंधेरे में ही प्रतिमा विसर्जन करना पड़ता है।

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