दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में एक सप्ताह पूर्व खुले कैंटीन में महंगा खाद्य पदार्थ बेचे जाने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को दोपहर छात्रों ने जमकर हंगामा किया। इसकी सूचना पाकर पहुंचे मुख्य नियंता प्रो. सतीश चन्द्र पाण्डेय से भी छात्र करीब एक घंटे तक अपना विरोध जताते रहे।
डीडीयू के कैंटीन में गुरुवार को दोपहर करीब डेढ़ बजे छात्र समूह में नाश्ते के लिए गए थे। कैंटीन में मेन्यू और रेटलिस्ट देखने के बाद उन्होंने सामान महंगा बेचे जाने का आरोप लगाया। छात्रों का आरोप था कि जब उन्होंने महंगा सामान बेचे जाने की बाबत शिकायत की तो वहां से पुलिस बुलाने की धमकी दी जाने लगी। इससे छात्र नाराज हो गए और हंगामा करने लगे। दोनों पक्षों में बहस होने लगी। इसकी सूचना किसी ने मुख्य नियंता को दी।
मुख्य नियंता पहुंचे और छात्रों को समझाने की कोशिश की। इस पर छात्रों से करीब एक घंटे तक बहस भी हुई। करीब एक घंटे तक बहस के बाद छात्र वहां से गए। पुन: किसी हंगामे की आशंका के मद्देनजर छात्रों के जाने के काफी देर बाद तक मुख्य नियंता कैंटीन के बाहर मौजूद रहे। इस दौरान आलोक सिंह, विनय यादव, सत्यम गोस्वामी, अपर्णेश यादव, प्रिंस गुप्ता समेत दर्जनों छात्र मौजूद रहे।
यह कैंटीन है वीआईपी रेस्तरां नहीं
छात्र सत्यम यादव ‘मुलायम’ ने रेटलिस्ट पढ़ते हुए मुख्य नियंता से कहा कि यह विश्वविद्यालय का कैंटीन है। यहां गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे आते हैं। कैंटीन में सामान का चार्ज किसी वीआईपी रेस्तरां की तरह नहीं लिया जा सकता। 8 का समोसा, 25 रुपये का छोला-समोसा, 50 रुपये का छोला भटूरा, 50 का छोला-चावल, 50 रुपये की कोल्ड कॉफी, 30 का मसाला कोक दिया जा रहा है। सैंडविच, बर्गर, वेज मंचुरियन 60 रुपये तो मोमो और फ्राइड राइस 50 रुपये में दी जा रहा है। यहां छात्रों का आर्थिक शोषण हो रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कैंटीन संचालक ने अपना रेट तय किया है, उसी अनुसार सामान बेच रहा है। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में कमी हो तो इसकी शिकायत कीजिए। यदि लगता है कि अंदर महंगा सामान बिक रहा है तो बाहर जाकर खरीद सकते हैं।