गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक 2525 किमी लंबाई के दायरे में बसे 150 शहरों में वाराणसी सबसे स्वच्छ शहर बन गया है। दिल्ली में गारबेज फ्री सिटी व सफाई मित्र चैलेंज अवार्ड वाराणसी को देने के साथ ही गंगा टाउन सिटी में प्रथम स्थान आने के लिए प्रमाण पत्र भी दिया।
नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन, अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे के साथ वाराणसी से पहुंची महापौर मृदुला जायसवाल व नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने यह दोनों सम्मान लिया। बता दें कि वाराणसी को यह गौरव यूं ही नहीं मिला। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गंगा निर्मलीकरण को लेकर सोच है तो स्थानीय जिम्मेदार अफसरों की कर्तव्यनिष्ठा। परिणाम, गंगा किनारे बसे शहर की स्वच्छता के लिए एक-एक कर मजबूत कदम बढ़े और वाराणसी के 84 घाट चमक उठे।
गंगा के किनारे बसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा निर्मलीकरण के तहत घाट व किनारे के हेरिटेज इलाके की सफाई का ब्लू प्रिंट वर्ष 2016 में तैयार किया गया। इसके तहत जहां नगर के सीवेज सिस्टम को आकार दिया गया तो घाट व हेरिटेज इलाके की सफाई की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दी गई। 2016 में गंगा निर्मलीकरण योजनाओं को नमामि गंगे को समर्पित किया गया। अक्टूबर 2016 में नमामि गंगे के तहत घाटों की सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसके लिए पांच करोड़ रुपये सालाना बजट तय किया गया। 84 गंगा घाट यानी दक्षिण में आखिरी सामनेघाट तो उत्तर में खिड़किया घाट को दायरे में लाया गया। 20 प्रमुख घाटों पर दो शिफ्ट में 24 घंटे सातों दिन सफाई होती है यानी 8-8 घंटे के अंतराल पर तीन टीमों को लगाया गया है।
इसमें सुबह व शाम एक-एक बार मुकम्मल सफाई होती है जबकि शेष समय कचरा दिखते ही साफ कर दिया जाता है। गंगा के सतह की सफाई ट्रेस स्कीमर मशीन से की जाती है। जन जागरूकता के लिए जायका के तहत छह संस्थाओं को चार साल का ठेका दिया गया है जिस पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इसके अलावा गंगा किनारे छह शौचालय बनाए गए हैं। वहीं, वरुणापार व पुराने शहर के विस्तारित इलाके में नया सीवेज सिस्टम विकसित किया गया। शहरी क्षेत्र में 250 से अधिक शौचालय बनाए गए। लंका क्षेत्र के लिए रमना व रामनगर के लिए अलग से एसटीपी बनाई गई। वहीं, दीनापुर के साथ भगवानपुर व बरेका एसटीपी को उच्चीकृत किया गया। वहीं, नमामि गंगे के तहत जिन 10 हजार घरों में शौचालय नहीं था वहां स्थापित किया गया।
1986 में गंगा निर्मलीकरण प्रारंभ
गंगा एक्शन प्लान के तहत गंगा निर्मलीकरण का अभियान काशी से ही शुरू हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को यहीं के दशाश्वमेध घाट पर गंगा एक्शन प्लान की नींव रखी थी। पहले चरण में नगर में सीवेज सिस्टम को बनाने का प्रस्ताव बना। इसके तहत 80 एमएलडी का एसटीपी दीनापुर में स्थापित हुआ जिसमें अंग्रेजों के जमाने के शाही नाले को कनेक्ट किया गया। इस नाले से प्रतिदिन करीब 60 एमएलडी मलजल रोज निकलता था जो सीधे गंगा में जा रहा था। यह कार्य धीमी गति से होते हुए अपने तय समय से करीब दो साल देर से पूरा हुआ।