दीपावली के बाद से खराब हुई शहर की हवा में फिर त्योहारों के चलते धूल के कण काफी मात्रा में बढ़ गए हैं। इससे हवा सांस के रोगियों के लिए प्रतिकूल हो चली है। आसमान में बादल, स्थिर हवा और बढ़े धूल कणों के चलते पूरे दिन धुंध सी बनी रही। नतीजन, शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक शुक्रवार की सुबह 239 था तो देर शाम को यह 268 और रात 10 बजे 271 पहुंच गया। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कालिका सिंह बताते हैं कि हवा की स्थिति में मामूली ही सही, सुधार होना शुरू हो चुका था।
यह बढ़ा हुआ सूचकांक त्योहार की वजह से बढ़ी वाहनों व लोगों की भीड़ के चलते है, उम्मीद है कि देव दीपावली की भीड़ कम होने के बाद वाहनों की संख्या शहर में सामान्य होते ही स्थिति संतोषजनक होने लगेगी। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक भीड़भाड़ के चलते गुरुवार से बढ़ना शुरू हुआ। बुधवार को 216 रहा तो गुरुवार को 240 पहुंच गया। शुक्रवार की सुबह तक उतने पर बना रहा तो शाम को 268 जा पहुंचा। शहर के अलग-अलग हिस्सों की बात करें तो अर्दली बाजार में गुरुवार को एक्यूआइ 225 रहा जो शुक्रवार को 283 पहुंच गया। भेलूपुर में गुरुवार को 257 रहा एक्यूआइ शुक्रवार को 267 हो गया। बीएचयू में 24 घंटे में 215 से बढ़कर 248 जा पहुंचा तो मलदहिया में 264 से 287 हो गया।
समग्र रूप से बात करें तो पूरे शहर की वायु गुणवत्ता आरेंज जोन में बनी हुई है जिसे सांस लेने के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है। शहर के वातावरण में पीएम 2.5 (यानी अत्यंत छोटे धूल के कण) की मात्रा बढ़ने से यह हाल रहा।
क्या है पीएम 2.5
पीएम 2.5 सबसे छोटे वायु कण होते हैं। इनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर के आसपास होता है। अति सूक्ष्म कण होने की वजह से ये आसानी से हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और हमारे लीवर, लंग्स आदि को प्रभावित करने लगते हैं। इन कणों के कारण खांसी, जुकाम आदि समस्याओं से लेकर अस्थमा और दिल से जुड़ी बीमारियां तक होने का खतरा होता है। ये कण डीजल वाहनों आदि से कार्बन कणों के साथ भी निकलते हैं।
कितना होना चाहिए पीएम सामान्य रूप से
पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 60 एमजीसीएम होता है लेकिन यह यहां यह चार गुना से अधिक 250 से ऊपर पहुंच गई है। इसलिए चिकित्सकों की सलाह है कि बिना मास्क लगाए घर से बाहर निकलना खतरनाक हो सकता है।
बढ़ सकते हैं खांसी-जुकाम व अस्थमा के मरीज
हवा में बढ़े धूल कण ठंड के सीजन में खांसी-जुकाम का कारक बन सकते हैं। एेसे समय में अस्थमा के मरीजों को बेहद सावधान रहने की आवश्यकता है।
मास्क ही बचाएगा, इसे लगाकर ही बाहर निकलें
कोरोना काल में मास्क आदत में आ चुका है। वातावरण में धूल कण बढ़ने की स्थिति सांस रोगियों के लिए खतरनाक है। ऐसे में मास्क लगाकर ही बाहर निकलना ठीक है।