वर्षो से बजट के लिए तरस रहे वीर अब्दुल हमीद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बारा पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। चहारदीवारी विहीन अस्पताल पशुओं का चारागाह बन चुका है। लोगों के उपचार के लिए यह काम नहीं आ रहा है।
सूबे के अंतिम छोर व बिहार सीमा पर स्थित न्याय पंचायत बारा में चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर लोगों को खूब छला गया है। जब भी बड़े नेता, मंत्री, सांसद, विधायक सहित अधिकारी यहां आए, जनता को आश्वासन का टानिक पिलाकर चलते बने। नेतागण चुनाव के समय इस मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल कर लेते हैं। उसके बाद यह एजेंडा काली सूची में चला जाता है। जनता को छलने में इन्हें आज तक मजा ही आ रहा है, क्योंकि उसी से इनकी गाड़ी भी चल रही है। आलम यह है कि चहारदीवारी विहीन स्वास्थ्य केंद्र में गंदगी का ढेर लगा है। इससे लोगों में बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है, लेकिन किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।
चहारदीवारी विहीन स्वास्थ्य केंद्र में गंदगी का अंबार लगा है। इस तरफ जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का जरा भी ध्यान नहीं है। चहारदीवारी नहीं होने से लोग अपने पशुओं को आवारा छोड़ देते हैं। हद तो तब हो जाती है जब स्वास्थ्य केंद्र में ही लोग गोबर का ढेर लगा उपले पाथते हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गंदगी इतनी है कि पता ही नहीं लगता कि स्वास्थ्य केंद्र है या कूड़ा स्थल। स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए सड़क जर्जर हालत में है। स्थिति से जनप्रतिनिधि भी अवगत हैं। अधिकारियों को भी कई बार लिखित सूचना दी जा चुकी है लेकिन हालत नहीं सुधर सकी।
न्याय पंचायत बारा में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिसका खामियाजा क्षेत्रवासियों को भुगतना पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र में हमेशा ताला लटका रहता है। मरीजों को इलाज के लिए बिहार ले जाना पड़ता है। इस कारण क्षेत्रीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
न्याय पंचायत बारा में एक मात्र स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद भी यहां पर कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इस कारण एक लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है। स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के साथ ही चहारदीवारी के लिए उच्चाधिकारियों से वार्ता कर पत्र दी जाएगी।