एक लोकोक्ति है कि तेल देखो तेल की धार देखो। यह भले ही किसी और संदर्भ में प्रयुक्त की गई हो, लेकिन सरसों के तेल की कीमत 210 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा होने से किसान इस बार सरसों की खेती का रकबा बढ़ाकर तेल की धार अपने खेत में देखेंगे। धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की बोआई की तैयारी करते हैं।
नवंबर का तीसरा सप्ताह होने से अगेती खेती करने वाले किसानों ने गेहूं की बोआई शुरू भी कर दी है, लेकिन पहली बार है कि गेहूं से ज्यादा महत्व सरसों की फसल पर दिया जा रहा है। छोटी जोत के किसान भी गेहूं की खेती के कुछ हिस्से में सरसों की बोआई कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि अधिकांश गांवों में सरसों की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ी है। तमाम तो ऐसे हैं जो पहली बार सरसों की बोआई कर रहे हैं।
सेवराई तहसील के अभिलेखों में दर्ज कृषि योग्य आंकड़ों पर गौर करें तो तहसील क्षेत्र में 8,400 हेक्टेयर क्षेत्रफल भूमि पर खेती की जा रही है। इसमें सर्वाधिक भूमि पर गेहूं व धान की खेती होती है। इसके बाद आलू, मटर, सरसों, चना, बाजरा, मक्का, केला, हरी सब्जी सहित अन्य खेती होती है। सरसों के तेल में महंगाई के चलते व गेहूं की बोआई में अधिक लागत लगने से इस बार किसान सरसों की बोआई की तरफ अधिक रुख कर दिए हैं।
सरसों का तेल दो सौ रुपये से लेकर 210 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है। इससे गरीब से लेकर मध्यम वर्ग के लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं गृहणियां तेल में महंगाई के चलते रसोई में सब्जी बनाने के लिए तड़का छौंका नहीं लगा पा रही हैं। इस बार बढ़ा है रकबा :- इस बार सेवराई तहसील क्षेत्र में बड़े किसान व छोटे किसान सभी सरसों की बोआई कर रहे हैं। अधिकांश किसान सरसों की बोआई कर चुके हैं तो कुछ किसान अभी बोआई कर रहे हैं। क्षेत्र के देवल, सुरहां, अमौरा, गोड़सरा, मनिया, सायर, गहमर, बारा सहित तहसील क्षेत्र के अन्य गांवों में इस बार किसान सरसों की बोआई अधिक मात्रा में किए हैं।
बारा गांव के किसान सेराज खां ने इस बार पांच बीघा सरसों की बोआई की है। महंगाई के चलते किया ऐसा :- इसी तरह इसी गांव के फिरोज खां, जलालुद्दीन खां, मोहन चौधरी, गोपाल निषाद, मैनुद्दीन खां, जफरुल्ला सहित किसानों ने सरसों की बोआई किए हैं। इन किसानों का कहना है कि तेल की महंगाई के चलते इस बार सरसों बोया है। इसमें लागत कम है फायदा अधिक। तहसीलदार राम जी का कहना है कि सेवराई तहसील क्षेत्र में 8,400 हेक्टेयर भूमि पर खेती किसानी होती है।