ददरी मेले के ऐतिहासिक नंदी ग्राम व मीना बाजार के बीच मैदान में 24 नवंबर को होने वाली चेतक प्रतियोगिता की तैयारी में घुड़सवार जुट गए हैं। इसमें हवा से बात करने के लिए बोल्ट, बादल, तूफान, साधु व सुल्तान आदि घोड़े पूरी तरह से बेताब हैं। इसमें बोल्ट साल 2019 में हुई इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान रहा था। बिहार के बक्सर जिले के इटाड़ी से अजय सिंह के बोल्ट नाम के घोड़े की सवारी पाेंगा करेंगे।
जिले के चौरा निवासी उमेश प्रताप सिंह का सुल्तान भी आगे निकलने को पूरी तरह से तैयार है। इस पर घुड़सवारी मूसन कुंवर करेंगे। सिवान के प्रवीण सिंह के चेतक व साधु नाम के घोड़े पहली बार प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उतावले हैं। चेतक पर सवारी वीरेंद्र व साधु पर इस्माइल अहमद करेंगे। दोनों घोड़ों को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आ रहे हैं। गाजीपुर के दिलदार नगर के वंश नारायण का तूफान भी तैयार है। घुड़सार शैलेश यादव ने बताया कि प्रतिदिन तैयारी की जा रही है। चेतक प्रतियोगिता में उम्दा प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा भी अन्य कई घोड़े इस प्रतियोगिता में आगे निकलने की होड़ में हैं। इसके लिए मेला क्षेत्र के मैदान में लगातार रियाज कर रहे हैं।
दो बार का विजेता राजू फिर देगा टक्कर
प्रतियोगिता में दो बार विजेता घोड़ा राजू फिर दौड़ लगाने की तैयारी में है। बिहार के मुज्जफरपुर के हरिवंश यादव का घोड़ा मेले में दो बार प्रतियोगिता में जीत दर्ज कर चुका है। इस साल भी वह पूरी तरह से टक्कर देने को बेताब है। इस घोड़े पर सवारी विश्राम यादव करेंगे। बताया कि इस बार की तैयारी अलग किस्म की है।
मैदान तैयार न होने से दिक्कत
24 नवंबर को होने वाली चेतक प्रतियोगिता के लिए अभी तक मैदान तैयार नहीं होने से तैयारी करने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वह घोड़ों को लेकर नंदी ग्राम में बने रास्ते पर रियाज कर रहे हैं। इससे उन्हें कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खेल मैदान समतल नहीं होने से घोड़े चोटिल हो जा रहे हैं।
शेरा की सिंग में लगता है शुद्ध घी
मेले में घोड़ों के बीच भेड़ शेरा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसकी अपनी अलग पहचान है। अजय सिंह मेले में उसे लड़ाने के लिए लाए थे लेकिन उसका कोई अब तक जोड़ नहीं मिला है। भेड़ वाराणसी, सिवान, बक्सर आदि स्थलों पर हुई प्रतियोगिताओं में अपनी दमदार ताकत का एहसास करा चुका है। इसकी सिंग काफी मजबूत हैं जिसमें प्रतिदिन सुबह-शाम शुद्ध घी लगाया जाता है। इसका वजन 50 किलो के आसपास है।