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काफी कुछ बदल गया शहर बनारस, लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गए कई स्‍थल

नरेन्‍द्र मोदी जब से बनारस के सांसद हुए हैं तब से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है। 2014 से लेकर अब तक काफी कुछ बदल गया है। शहर की बात करें तो गलियों, चौराहों व घाटों को और भी आकर्षक व सुंदर बनाया जा रहा है। इनदिनों गोदौलिया चौराहा से दशाश्‍वमेघ घाट मार्ग लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां गुलाबी पत्‍थर से मार्ग को बना दिया गया है। वहीं सड़क के दोनों तरफ के मकानों व दुकानों को एक रंग यानी गुलाबी में रंग-रोगन कर दिया गया है। जिससे यह और भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। साथ ही सड़क के दोनों तरफ लगे हेरिटेज पोल शाम होते ही रोशनी से जगमब हो जाते हैं। इससे क्षेत्र की सुंदरता और भी मनमोहक हो जा रही है।

ऐसे में सेल्‍फी लेने वालों का तांता लग रहता है। इनदिनों इंटरनेट मीडिया पर भी गोदौलिया चौराहा की फोटो खूब वायरल हो रही है। ऐसा लग रहा है कि यह बनारस की नहीं बल्कि विदेश की सड़क है। इतना ही नहीं काशी विश्‍वनाथ कारिडोर भी दर्शनार्थियों, यात्रियों व लोगों को खूब मोहित कर रहा है। वहीं, परिवहन के क्ष्‍ोत्र में भी रिंगरोड फेज 2 का काम पूरा होने पर गत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया। अब इस सड़क पर बनारस की नहीं पूर्वांचल के अन्‍य जिलों के लोग वाहनों से फर्राटा भर रहे हैं। वहीं, जल परिवहन पर भी सरकार पूरा ध्‍यान दे रही है। इसके लिए रामनगर में बंदरगाह बनाया गया है।

बदलते हुए बनारस में आपका स्वागत है। जिंदादिल लोगों से भरा यह जिंदा शहर कभी सोता नहीं, बल्कि अपने जर्रे-जर्रे की खबर लेता रहता है। इसके गली-मोहल्लों, चट्टी-चौमुहानियों पर ठौर बनाए सतर्क निगहबानों की देख-रेख में बनारस आहिस्ता-आहिस्ता बदल रहा है। अब कोई पान की पीक सड़क पर पिच्च करके आसानी से नहीं बच निकल पाता। अगर बनारसी लहजे में कहा जाए, तो बनारसी उसे घेर उसकी पीक को वापस उसके कंठ में उतार देने तक की फजीहत कर देते हैं। कैथी में मारकंडेय महादेव मंदिर का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुअों की सुविधा को ध्‍यान में रखते हुए गंगा नदी के किनारे घाट को पक्‍का कर दिया गया है। वहीं सिगरा के पास बना रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर भी विकास की गाथा को गति दे रहा है। स्‍मार्ट सिटी के तहत गलियों को सजाया-संवारा जा रहा है। यहां सीवर लाइन, पेयजल की पाइप, बिजली के तार भूमिगत कर ऊपर से गुलाबी पत्‍थर बिछाया जा रहा है।

शहर में तीन स्‍थानों पर आधुनिक वाहन पार्किंग की व्‍यवस्‍था की गई है। इसे गोदाैलिया चौराहा, टाउन हाल मैदान व सर्किट हाउस के पास बनाया गया है। गोदौलिया पार्किंग में केवल दो पहिया वाहनों को रखने की व्‍यस्‍था है। वहीं, टाउन हाल मैदान व सर्किट हाउस के पास बने पार्किंग में दो पहिया वाहनों के साथ्‍ा चार पहिया वाहनों को भ्‍ाी खड़ा करने की व्‍यवस्‍था है। उधर, ग्रामीण क्ष्‍ोत्रों में भी सड़कों को जहां चौड़ा किया जा रहा है वहीं, रिंगरोड गांवों को शहर से जोड़ने में मददगार है।

नरेन्‍द्र मोदी के बनारस का सांसद और देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले तक बनारस में भी दुश्वारियों का पहाड़ था। दूसरे शहरों की तरह यहां भी बदइंतजामी थी, सड़कें जर्जर, बिजली-पानी का संकट, कुंड-तालाब कब्जे में वगैरह-वगैरह। समय ने करवट ली और यह कहना गलत नहीं होगा कि बड़े ही कम समय में भी किसी शहर में बड़ा बदलाव लाए जा सकने की बनारस एक जीती-जागती मिसाल है।

सांसद मोदी की चाहत के अनुरूप विकास की ओर बढ़े कदमों ने शहर में लटकते बिजली के तारों और उनके घने जाल को गायब करना शुरू कर दिया है। पीएम ने आइपीडीएस की सौगात दी तो शहर की कई कालोनियों और मोहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए, अब पूरे शहर में यह कवायद बढ़ चली है। काशी की प्राचीनता से मेल खाते लैंप पोस्टों (हेरिटेज पोल) से निकलती दूधिया रोशनी की चादर जहा जाइएगा, हमें पाइएगा के लहजे में आपका साथ ही नहीं छोड़ेंगी।

ऐसा नहीं सिर्फ यही बदला है। बहुत कुछ बदला है। शिक्षा, कला और स्थापत्य कला की इस राजधानी की जान घाटों में बसती है। चार साल पहले तक घाटों का टूटना, दरकना और उनका चमक खोना परेशानहाल बनारसियों के माथे पर सिलवटें ला देता था, लेकिन आज फिर से घाट उसी तरह जलवा अफरोज होने लगे हैं। उन पर आने वालों और स्नान-ध्यान, पूजन-अर्चन के अलावा वहा अनवरत चल रहे कार्यक्रमों के सुर-सागर की सरिता में गोते लगाने वालों की संख्या में कई गुना का इजाफा हुआ है।

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