सूख चुकी बगिया में फिर से हरियाली छा गई है। लगभग 70 वर्ष पुरानी यह बाग अब बनारस की शान दूधिया लंगड़ा आम की पहचान और उसके संरक्षण, संवर्धन का एक केंद्र बनेगी। चिरईगांव ब्लाक के जाल्हूपुर में स्थित कच्चा बाबा इंटर कालेज की इस बाग को उद्यान विभाग ने वेज ग्राफ्टिंग तकनीक से नया कलेवर प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बाग के स्थान पर थी कभी काशी नरेश की छावनी : गांव निवासी व विद्यालय के प्रबंधक धनंजय कुमार सिंह बताते हैं कि कभी यह स्थान काशी नरेश की छावनी के रूप में था। इसे उनके पिता पूर्व विधायक हिम्मत बहादुर सिंह ने उनसे खरीद लिया था और यहां 1953 में इंटर कालेज की नींव रखी। तभी से इसके परिसर में यह बाग थी। अब इसके पेड़ रोगग्रस्त होकर सूखने लगे थे। इस संबंध में उन्होंने जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता से संपर्क किया। जिला उद्यान अधिकारी ने इस बाग का स्थलीय निरीक्षण करने के उपरांत इसे बनारसी लंगड़ा आम की कलमी बाग के रूप में परिवर्तित करने का सुझाव दिया।
खाए गए आम की गुठलियों से उगे पौधे ही आए काम : प्रबंधक के घर खाई गई गुठलियों से जमे बीजू पौधे में ही कलम लगाने का निश्चय हुआ। यह पिछले वर्ष की बात है, अब इंतजार था उनके बड़े होने का। इस वर्ष पौधे एक वर्ष के हो गए तो जिला उद्यान अधिकारी विभागीय निरीक्षक गोरखनाथ सिंह और मालियों के साथ निश्शुल्क सहायता प्रदान करते हुए तीन सप्ताह पूर्व बागों के कलमी लकड़ियों को बंधाई के लिए डिफोलिएशन कराया। 15 दिन पश्चात 246 बीजू पौधों को वेज ग्राफ्टिंग के माध्यम से लकड़ी की कलम बंधाई। अब एक महीने के अंदर बीजू पौधे नए कल्ले का फुटाव लेकर लंगड़ा प्रजाति के पौधों में परिवर्तित हो जाएंगे। उन्हें उसी बाग में स्वामी द्वारा रोपित करा दिया जाएगा।
किसान तैयार करें बीजू पौधे, विभाग निश्शुल्क बनाएगा कलमी : जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता बताते हैं कि वाराणसी की विशेष पहचान लंगड़ा आम के निर्यात के क्षेत्र में विशेष मांग को देखते हुए यह कार्य किसान हित में निश्शुल्क प्रारंभ किया गया है। किसानों के खेत में ही बीजू पौधों से कलम बंधाई से जहां किसानों की लागत नगण्य आएगी, वहीं उन पौधों का जीवन लंबा होगा। ढुलाई, परिवहन एवं पौध मूल्य भी बचेगा। किसान यदि अपने खेत में 100 की संख्या में एक साल पुराने बीजू पौधे तैयार कर लें तो उस पर कलम बंधाई का कार्य और तकनीकी जानकारी निश्शुल्क प्रदान कराई जाएगी। यह कार्य वाराणसी जनपद के बागों के पुनर्स्थापन एवं संवर्धन में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
क्या है वेज ग्राफ्टिंग : वेज ग्राफ्टिंग कलम बांधने की एक प्रक्रिया है। इसमें सबसे पहले बीजू पौधे की मोटाई देखते हैं। फिर उसी के बराबर की मोटाई में कलमी पेड़ से किए नए निकले हुए तना का चुनाव करते हैं। इसके बाद चुने हुए तने की पत्तियां छांट देते हैं ताकि वह खुराक पाकर और स्वस्थ हो ले। लगभग 15 दिन बाद उस तने को लेकर बीजू पौधे में वी का आकार बनाते हुए एक चीरा लगाते हैं और उसी चीरे की साइज में चुने हुए तने की कलम बनाकर, उसमें खोंसकर प्लास्टिक की पन्नी से खूब एयरटाइट बांध देते हैं। लगभग 10-15 दिन में बांधे हुए स्थान से नए कल्ले फूटने लगते हैं। इसके बाद बीजू पौधे की सारी टहनियां व पत्तियां छांट देते हैं। इस तरह कलमी पौधा तैयार हो जाता है। जिसका जड़ और मुख्य तना तो बीजू का होता है मगर ऊपरी हिस्से में सारे गुण कलमी पौधे के होते हैं।