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वाराणसी के 30 गांवों से गुजरेगी दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन, मंडुआडीह में बुलेट ट्रेन का होगा हाइटेक स्टेशन

दिल्ली से वाराणसी तक बुलेट ट्रेन चलेगी। प्रस्ताव के सापेक्ष डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किया जा रही है। सितंबर माह के अंत तक डीपीआर रेल मंत्रालय को सौंप दी जाएगी। यह हाई स्पीड कारिडोर उत्तर प्रदेश के 22 जिलों तथा दिल्ली के दो जिलों से होकर गुजरेगा। दिल्ली में पहला तो बनारस के मंडुआडीह में आखिरी स्टेशन बनेगा।

डीपीआर बनाने का कार्य नेशनल हाइस्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड की ओ से किया जा रहा है। यह हाई स्पीड कारिडोर बनारस की दो तहसीलों राजातालाब व सदर के 30 गांव से गुजरेगा। पूर्वोत्तर रेलवे के ज्ञानपुर ट्रैक के किनारे से हाई स्पीड कारिडोर बनेगा। वाराणसी से दिल्ली के लिए 810 किमी कुल दूरी तय करनी होगी। इसमें बनारस में 22 किमी का हाई स्पीड कारिडोर होगा। 

स्पीड का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि दिल्ली तक की दूरी तय करने में जहां तेजस व वंदे भारत जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेनों से नौ घंटे लगते हैं तो वहीं, बुलेट ट्रेन महज तीन घंटे 41 मिनट का वक्त लगेगा। वाराणसी से दिल्ली तक हाई स्पीड कारिडोर मुख्य होगा जबकि इस कारिडोर से जुड़ी शाखा लखनऊ से अयोध्या तक करीब 135 किमी की होगी।

इन गांवों से गुजरेगा कारिडोर : गुडिय़ा, पूरे, लच्छापुर, रायपुर, भंजनपुर, रखौना, चित्तापुर, कचनार, असवारी, जगतपुर, नरउर, हरदत्तपुर, बैरवन आदि।

बुलेट ट्रेन का प्रस्तावित मार्ग : दिल्ली के सराय काले खान से शुरू होकर गौतम बुद्ध नगर, मथुरा, आगरा, कानपुर, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, संत रविदास नगर, मिर्जापुर होकर वाराणसी के मंडुआडीह पर समाप्त होगा।

साढ़े 22 मीटर चौड़ा होगा हाइस्पीड कारिडोर :

बुलेट ट्रेन के लिए प्रस्तावित हाइस्पीड कारिडोर की चौड़ाई साढ़े 22 मीटर होगी। इसमें साढ़े 17 मीटर चौड़ा ट्रैक होगा। यह हाई स्पीड कारिडोर ऊंचे-ऊंचे खंभे से होकर गुजरेगा। इससे जमीन की आवश्यकता कम होगी। आकलन के अनुसार 22 गांवों में एक सौ हेक्टेअर जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक गांव में समितियां बनाई जाएंगी। 

किसानों की सहमति से खरीदी जाएगी। प्रत्येक गांव में भूमि अधिग्रहण के लिए समिति बनाई जाएगी। समाचार पत्र में अधिग्रहण की सूचना दी जाएगी। ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट से चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में दो-गुना मुआवजा दिया जाएगा। अधिकारियों ने विकास कार्य में सभी से सहयोग की अपील की है। अफसरों ने बताया कि इस परियोजना में कुल 794 गांव प्रभावित हो रहे हैं। कुल 2324 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता हैं, जिसमें 1735 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है।

बोले अधिकारी : सितंबर माह के अंत तक हाई स्पीड कारिडोर निर्माण की डीपीआर तैयार कर ली जाएगी जिसे रेल मंत्रालय को सुपुर्द कर दिया जाएगा। स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। -सुषमा गौर, प्रवक्ता, नेशनल हाइस्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड।

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