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आजमगढ़ में सिलिंडर की आग में जिंदा जली तीन बच्चियां, खाना बनाते समय हुई घटना

भोजन बनाते समय सिलिंडर लीक होने से लगी आग में तीन मासूम बच्चियां जिंदा जल गईं। अग्निकांड के बाद मची चीख-पुकार के बाद गांव वाले दौड़े, लेेकिन आग की लपटों के सामने ग्रामीण एक बारगी लाचार पड़ गए। हालांकि, प्रयास कर जब तक आग पर काबू पाए तो तीनों बच्चियों को निकट के अस्पताल लेकर भागे, जहां डाक्टर ने दो को मृत घोषित कर दिया। कुछ देर तीसरी बच्‍ची जीवित थी लेकिन उसने भी दम तोड दिया।

इमामगढ़ निवासी दिनेश यादव मिठाई बनाने का काम करते हैं। शाम में करीब छह बजे उनकी पत्नी माधुरी गैस चूल्हे पर खाना बना रही थीं। वह गैस चूल्हे पर भोजन रखने के बाद घर से बाहर पानी लेने चली गईं। उसी दौरान गैस सिलिंडर लीक होने से आग लग गई। कमरे में उनकी तीन पुत्रियां दीपांजलि (11) सियांशी (6) व श्रेजल (4) मौजूद रहीं। मासूमों को सिलिंडर लीक होने का एहसास तक नहीं हुआ, लेकिन सिलिंडर में आग लगी तो मासूमों को भागने का मौका तक नहीं मिला। बेटियों की चीख सुनकर माधुरी दौड़ीं, लेकिन हालात ने उनके राह में रोड़ा खड़ा कर दिया। ग्रामीण पहुंचे तो बचाव कार्य किया जा सका, लेकिन उस समय तक बहुत देर हो चुकी थी। डाक्टर ने गंभीर रूप से झुलसी श्रेजल को प्राथमिक उपचार के बाद जौनपुर के अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जहां उसकी भी मौत हो गई। क्षेत्राधिकारी बूढ़नपुर गोपाल स्वरूप वाजपेई व थानाध्यक्ष अहरौला श्रीप्रकाश शुक्ला ने पुलिस बल के साथ माहुल स्थित अस्पताल पर पहुंचकर जानकारी ली। 

आग की लपटों के आगे बेबस थे ग्रामीण, नहीं बचा पाए गांव की दो बेटियां

अहरौला थाना क्षेत्र के इमामगढ़ में रसोइ गैस सिलेंडर में रिसाव के बाद टीनशेड के मकान में लगी आग के बीच तीन बहनें जल रहीं थीं। सिलेंडर से गैस से निकल रही तेज आवाज के साथ ऊपर की तरफ निकल रही आग इतनी भयवाह थी कि ग्रामीण भी बेबस थे। लगभग आधा घंटे की मशक्कत के बाद किसी तरह बांस से सिलेंडर को गिराया तो अंदर जा पाए लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गंभीर रूप से झुलसीं दो बहनों ने दम तोड़ दिया जबकि एक जिंदगी की जंग लड़ रही है।

घर में आज ही लाया था नया सिलेंडर : 

तीनों बेटियों के पिता दिनेश यादव जिला मुख्यालय स्थित किसी मिठाई की दुकान पर कारीगर हैं। साप्ताहिक बंदी के कारण दिनेश घर पर ही थी। गैस सिलेंडर खत्म हो गया था तो रविवार को एजेंसी से भरवाकर दूसरा लाए थे। घर पर सिलेंडर रखने के बाद वे कहीं चले गए थे। यहां तक कि जब उनके घर में हृदयविदारक घटना घटी तब भी वे घर पर नहीं थे। उनकी पत्नी माधुरी बेटियों को बचाने के लिए चीख रही थी और ग्रामीण बचाने का पूरा प्रयास कर रहे थे।

हमार त गृहस्थी उजड़ गइल, अब के पनिया देही हो : 

अब के देही हो पनिया, हमार त गृहस्थी ही उजड़ गईल। घटना की देर से जानकारी होने के बाद अस्पताल पहुंचे दिनेश यादव रो-रोकर कह रहे थे। दिनेश यादव की तीन बेटियां दीपांजलि, शियांशी व श्रेजल ही थीं। बेटा नहीं था। 11 वर्षीय दीपांजलि प्राथमिक विद्यालय कोर्राघाटमपुर में कक्षा चार की छात्रा थीं। बड़ी होने के कारण वह समझदार थी। पिता जब घर पर जाते थे वही पानी लेकर दौड़ती थी। भोजन परोसने से लेकर पिता का बहुत ही ख्याल रखती थी।

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