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'तत्‍काल' ट‍िकट के ल‍िए भोजन-व‍िस्‍तर लेकर एक दिन पहले काउंटर पर पहुंच रहे लोग, फ‍िर भी नहीं म‍िल रहा ट‍िकट

शुक्रवार की रात 11.30 बजे के आसपास गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन के आरक्षण कार्यालय (पीआरएस) का गेट खुला था। अंदर हाल के दरवाजे के सामने एक बुजुर्ग महिला व कुछ युवा उदास बैठे थे। कुछ लोग बाहर टहल रहे थे। कुरेदने पर गोरखपुर उरुवां निवासी गौरव फफक पड़े। भूख के मारे आवाज नहीं निकल रही थी, फिर भी बताने लगे। मुंबई जाना है। सुबह दस बजे तत्काल टिकट के लिए आए थे। नहीं मिला तो यही रुक गए। 

दीवार पर चस्पा सूची को दिखाते हुए बताया 24 लोगों का नंबर लग गया है। मैंने भी रविवार की ट्रेन के लिए शनिवार को सुबह दस बजे लाइन में लगने के लिए अभी से नंबर लगा दिया है। शायद कंफर्म टिकट मिल जाए। थोड़ी दूरी पर बैठे बांसगांव गोरसरा के विकास ने बताया कि लाइन में पहले नंबर वाले को ही कंफर्म मिल रहा है। तीन दिन से रोज आ रहा हूं, लेकिन टिकट नहीं मिल रहा।

महज 45 सेकेंड में ही बुक हो जा रहे तत्काल कोटे के सभी टि‍कट

उरुवां और बांसगांव गौरव और विकास ही नहीं दूसरे जनपदों के दूर-दराज गांवों के दर्जनों लोग रोजाना तत्काल टिकट के लिए रेलवे आरक्षण कार्यालय पहुंच रहे हैं। भूखे-प्यासे पूरी रात जागकर काटते हैं। कुछ पीआरएस पर ही रुक जाते हैं तो कुछ सड़क पर समय काटते हैं। फिर भी दूसरे दिन सुबह दस बजे लाइन में लगने के बाद निराशा ही हाथ लग रही है। महज 45 सेकेंड में ही तत्काल कोटे के सभी कंफर्म बुक हो जा रहे हैं। लाइन में लगे शेष लोगों के हाथ वेङ्क्षटग टिकट ही आ रहा है। लाइन में एक नंबर पर लगे संतोष ने बताया कि कंफर्म टिकट की आस में लोग लाइन में पहले लगने के लिए बु‍कि‍ंग शुरू होने से 24 घंटे पहले ही नंबर लगा दे रहे हैं। लोग पीआरएस पहुंचते जाते हैं, दीवार पर चस्पा सूची पर अपना नाम दर्ज करते जाते हैं। इसमें भी दलाल सूची में छेड़छाड़ करने से बाज नहीं आते हैं।

95 फीसद टिकटों की बु‍कि‍ंग दुकानों पर फर्जी साफ्टवेयर लेकर बैठे दलाल कर रहे बुक

जानकारों का कहना है कि तत्काल ही नहीं सामान्य टिकटों की बु‍कि‍ंग भी 60 से 90 सेकेंड में बुक हो जा रहे हैं। रेलवे के काउंटर तो शोपीस बनकर रह गए हैं। 95 फीसद टिकटों की बु‍कि‍ंग दुकानों पर फर्जी साफ्टवेयर लेकर बैठे दलाल ही बुक कर ले हैं। दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर में बढ़ते संक्रमण, पंचायत चुनाव और वैवाहिक कार्यक्रमों में भाग लेने घर आए प्रवासी लौटने लगे हैं। लेकिन दिल्ली और मुंबई जाने वाली किसी भी ट्रेन का कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है।

लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। यहां जान लें कि प्रत्येक ट्रेन का 25 से 30 फीसद बर्थ और सीट तत्काल कोटे के लिए आरक्षित रहता है। तत्काल टिकट का सामान्य से लगभग 30 फीसद अधिक किराया भी लगता है। ट्रेनों के छूटने के 24 घंटे पहले सुबह 10 और पूर्वाह्न 11 बजे जैसे ही तत्काल टिकटों की बुङ्क्षकग शुरू होती है।

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