कर्मनाशा रेलवे पुल पर शनिवार को वाटर लेवल मानीटरिग सिस्टम शुरू हो गया। इससे भारी बारिश और बाढ़ के दौरान पुल की निगरानी होती रहेगी। रेलवे कंट्रोल रूम को कर्मनाशा के जलस्तर की लगातार सूचना मिल रही है। उसी के अनुसार ट्रेनों की गति रखी जाएगी। एसएमएस के जरिए अधिकारियों को जलस्तर की सटीक जानकारी पहुंचने लगी है।
रेलवे ने पिछले वर्ष कर्मनाशा पुल पर इस सिस्टम का सफल ट्रायल किया था। अब डिवाइस सिस्टम लागू हो चुकी है और संबंधित इंजीनियर व रेल कर्मियों के मोबाइल पर एसएमएस के जरिए जलस्तर की सटीक जानकारी पहुंचने लगी है। सौर ऊर्जा से संचालित सेंसर युक्त वाटर लेवल मेजरमेंट डिवाइस रेल लाइन के ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम (टीएमएस) से जुड़ी है, जो संबंधित इंजीनियर व रेल कर्मियों के मोबाइल पर 24 घंटे में दो बार एसएमएस भेजकर अलर्ट कर रही है। जलस्तर के अनुसार ही ट्रेनों को चलाया जा रहा है।
पहले असुरक्षित थी लाइन की ट्रैकिग
रेल कर्मी अभी तक नदियों का जलस्तर पारंपरिक गेज पद्धति से ही मापते रहे हैं। बारिश और बाढ़ के समय मौके पर पहुंचकर जलस्तर मापना कठिन और असुरक्षित होता था। सूचनाएं देर से मिलती थीं और खतरे को भांपना मुश्किल था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इस तरह काम करता है सिस्टम
सेंसर युक्त यह सिस्टम सौर ऊर्जा से संचालित होता है। यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है। इसमें एक चिप लगा रहता है। उसमें पुल से संबद्ध सहायक मंडल इंजीनियर, कार्य निरीक्षक और रेल पथ निरीक्षक आदि के मोबाइल नंबर फीड रहते हैं। पुल पर जलस्तर बताने वाले स्केलर को सेंसर सिस्टम रीड करता है। जब जलस्तर खतरे के निशान से घटता या बढ़ता है तो स्वत: संबंधित इंजीनियरों व अधिकारियों को एसएमएस भेजता है। वाटर लेवल मानीटरिग सिस्टम खराब मौसम और रात के लिए उपयुक्त है।
कर्मनाशा नदी के जलस्तर की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का जलस्तर मापन यंत्र (वाटर लेवल मेजरमेंट डिवाइस) लगाकर उसे ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ दिया गया है। यह डिवाइस 24 घंटे में दो बार एसएमएस अलर्ट दे रही है। इससे मनीटरिग आसान और बेहतर हो गई है।