प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मागतपुर के स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही हद पार कर गई है। देर से ड्यूटी पर आना और समय से पहले ही घर चले जाना उनकी आदत बन गई है। पड़ताल में शुक्रवार को ऐसा ही देखने को मिला। यहां कोविड वैक्सीन प्रतिदिन देर से पहुंचती है। दोपहर 12 बजे तीन वायल वैक्सीन आई और 30 लोगों का टीकाकरण होने पर एक घंटे में ही खत्म हो गई। आधा दर्जन लोग बगैर टीका लगवाए ही लौट गए।
अस्पताल खुलने का समय सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक है, लेकिन डेढ़ बजे से पहले ही चिकित्सक सहित सभी स्टाफ अस्पताल से गायब रहे। ओपीडी में कुल 10 मरीज देखे गए। टीम दोपहर 11:30 बजे अस्पताल पहुंची तो सभी स्टाफ उपस्थित मिले। लैब असिस्टेंट व एएनएम का अवकाश पर होने के बारे में बताया गया। कुछ देर रुकने के बाद टीम लौट गई। इसके बाद दोबारा फिर अस्तपाल में 1:30 बजे जागरण टीम पहुंची तो सभी स्टाफ जा चुके थे, जबकि तीन लोग टीका लगवाने के लिए और पहुंचे थे। उस समय अस्पताल की रंगाई-पोताई में मजदूर लगे थे।
क्षेत्र के एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मागतपुर की हालत बदतर है। एक चिकित्सक के भरोसे ही अस्पताल चल रहा है। अस्पताल पर फार्मासिस्ट, लैब असिस्टेंट, वार्ड ब्वाय, स्वीपर व एएनएम की तैनाती है। संविदा पर वार्ड ब्वाय कार्यरत हैं। अस्पताल की बाउंड्रीवाल को टूटे चार साल हो गए, लेकिन विभाग अब तक इसकी मरम्मत नहीं करा पाया। यहां के सभी शौचालय जाम हो गए हैं। रात में बिजली नहीं रहने पर टार्च व मोमबत्ती की रोशनी में मरीजों का इलाज होता है। अस्पताल का छत फटने से बारिश होते ही कमरों में पानी भर जाता है।