उत्तर प्रदेश के उरई में चार दिन पहले लापता हुए मामा और भांजे की हत्या कर दी गई। पहचान न हो इसलिए कातिलों ने हत्या के बाद शवों को जला दिया। सिरसा कलार क्षेत्र के जंगल में सोमवार रात उनके शव बरामद हुए।दोनों के पहचान जूतों व कड़े से हुई। दोनों के लापता होने के बाद से ही उनके परिजन कोतवाली के चक्कर लगा रहे थे, पुलिस ने आरोपितों को पकड़ना तो दूर गुमशुदगी की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की। दोनों के शव मिलने के बाद भी घटना को लेकर पुलिस ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई, कोतवाली में बैठे मृतकों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
कांशीराम कालोनी निवासी राशिद (25) और उसके मामा इंदिरा नगर निवासी नसीम (22) 29 अप्रैल को संदिग्ध हालात में लापता हो गए थे। दोनों कोंच बस स्टैंड पर चूड़ी की दुकान पर बैठते थे। घटना वाले दिन ही नसीम की मां कपूरी एवं राशिद की मां भूरी ने परिजनों के साथ कोतवाली पहुंचकर अपने बेटों के लापता होने के संबंध में तहरीर दी। तहरीर में इंदिरा नगर निवासी रफीक और अनीश को नामजद करते हुए आरोप लगाया कि इन लोगों ने बेटों के उठा ले जाने की धमकी दी थी।
पुलिस ने तहरीर को गंभीरता से नहीं लिया, उल्टा युवकों के लापता होने पर स्वजनों पर ही आरोप लगाते हुए उन्हें दुत्कार कर कोतवाली से भगा दिया। इसके बाद व राशिद व नसीम के स्वजन कोतवाली के चक्कर लगाते रहे पर पुलिस नहीं पसीजी। परेशान परिवार वालों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर मामले की शिकायत की जिसके बाद पुलिस एक्टिव हुई और आरोपियों से पूछताछ शुरू की तब दोनों की हत्या का पता चला।
पुलिस सोमवार रात को सिरसाकलार थाना क्षेत्र के जंगल में पहुंची तो वहां दोनों के जले हुए शव पड़े मिले, हालांकि उनको पहचानना मुश्किल था। पुलिस ने दोनों के परिजनों को मौके पर बुलाया, जिन्होंने जूतों व कड़े से उनकी पहचान की। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटों को अगवा करने वालों को पहले ही पकड़ लिया होता तो उनकी जान बच जाती। सीओ सिटी संतोष कुमार का कहना है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए तहकीकात की जा रही है। जल्द आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।