जिले के तमाम गोशालाओं और देवधामों में लोगों ने मंगलवार को पर्यावरण की शुद्धता और संक्रमण मुक्ति के लिए यज्ञ में गोमय उपले और समिधा से हवन किया। हवन शुद्ध वायु में पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन व लाभकार नाइट्रोजन गैसे श्वास द्वारा हृदय में पहुंचाते हैं। इससे हमारा रक्त अधिक मात्रा में शुद्ध होने से हम अनेक रोगों से बचे रहते हैं। इससे हमारा शारीरिक बल न्यूनता को प्राप्त कर कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है। अग्निहोत्र से शुद्ध वायु को उत्पन्न कर उसके सेवन से हम जीवन भर निरोग रह सकते हैं।
खानपुर : मौधा स्थित श्रीहरि गोशाला में संचालक शिवचंद्र गुप्ता ने गोशाला में मौजूद गायों की सेवाकर उनके बीच औषधीय युक्त लकड़ियों से हवन कार्य संपन्न किया। शिवचंद्र ने कहा कि यज्ञ में आहुति के रूप में डाले गए देशी गाय के घृत व औषधियों जैसे गिलोय, गुग्गल आदि, सुगंधित पदार्थ केसर, कस्तूरी, मिष्ट पदार्थ देशी शक्कर तथा पुष्टि व बलवर्धक पदार्थ बादाम, काजू, छुआरे आदि मेवों सहित अन्न घृत व शक्कर युक्त भात की आहुति देने से वायु का दुर्गंध एवं प्रदूषण दूर व कम होता है। बिछुड़न नाथ महादेव मंदिर में हवन कर आचार्य बालकृष्ण पाठक ने बताया कि अग्निहोत्र यज्ञ से वायु तथा वायुमण्डलीय जल के कणों पर भी लाभप्रद प्रभाव पड़ता है। यज्ञ से वर्षा में वृद्धि होती है और यज्ञ करने से उचित समय व मात्रा की दृष्टि से आवश्यकता के अनुरूप वर्षा हो सकती है। इस प्रकार यज्ञ करने से वायु शुद्ध होकर रोगों का शमन तथा सुखों की वृद्धि सहित अन्न उत्पादन में भी वृद्धि होती है।