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अपना कर्तव्य निभाते हुए गाजीपुर के एंबुलेंस चालक ने गुवाहाटी तक लेकर गए संक्रमित बैंककर्मी का शव

कोरोना का नाम सुनकर ही लोग डर जाते हैं, लेकिन हम लोग डर के ऊपर जाकर काम कर रहे हैं। यह कहना है प्राइवेट एंबुलेंस चालक नई सब्जी मंडी निवासी कोरोना योद्धा मुन्ना यादव का। यह वही मुन्ना यादव हैं जो पिछले दिनों कोरोना से मौत के मुंह में समाए एक बैंककर्मी का शव लेकर 1124 किलोमीटर दूर उसके घर गुवाहाटी पहुंचे थे। बैंककर्मी के परिजनों के सामने विकट परिस्थिति थी। कोरोना संक्रमित का शव लेकर उतनी दूर जाने को कोई तैयार नहीं हो रहा था। उन्हें भय था कि कहीं वह भी न संक्रमित हो जाएं, लेकिन मुन्ना यादव अपना कर्तव्य निभाते हुए शव ले जाने को तैयार हो गए। शव को कोरोना प्रोटोकाल के तहत पैक किया गया और उसे एंबुलेंस में रखा गया।

बताया कि उसके बाद मैं अपने एक सहयोगी के साथ पीपीई किट पहनकर एंबुलेंस लेकर सुबह नौ बजे चला और अगले दिन सुबह सात बजे गुवाहाटी पहुंचा। 1124 किसी की यात्रा के दौरान कई बार बीच में रुककर नाश्ता व भोजन भी किया गया। बैंककर्मी का शव ले जाने वाले चार लोग अपनी सुरक्षा के लिए अलग कार में सवार थे। बताते हैं कि इस महामारी के दौर में सबसे ज्यादा खतरा एंबुलेंस चालकों को भी है। उन्हें नहीं पता कि जिस मरीज को लेकर जा रहे हैं, वह कोरोना संक्रमित है या नहीं। किसी तरह उसे गंतव्य तक ले जाना होता है। 

स्वयं की सुरक्षा के लिए कभी पीपीईकिट पहन लेते हैं तो कभी पीछे सीट पर प्लास्टिक लपेट लेते हैं। हाथ में दस्ताना व मास्क लगाने के बाद सैनिटाइजर का लगातार प्रयोग करते हैं। प्रतिदिन घर जाने के बाद पूरा कपड़ा निकाल देते हैं और फिर स्नान करते हैं। उसके बाद ही परिवार में जाते हैं। कभी किसी मरीज की मजबूरी का फायदा नहीं उठाते और निर्धारित शुल्क ही लिया जाता है। गाजीपुर से मऊ जाने के लिए 15 सौ और वाराणसी का 25 सौ रुपये किराया है। अगर आक्सीजन चाहिए तो पांच सौ रुपये और बढ़ जाता है।

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