Type Here to Get Search Results !

Recent Gedgets

Trending News

लाकडाउन ने तोड़ दी हरी सब्जी उत्पादक किसानों की कमर

लाकडाउन से कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमी है, लेकिन इससे क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसानों की कमर टूट गई है। हालात यह है कि खेतों में हरी सब्जियां खेतों में लहलहा रही है, लेकिन बाजार भाव इतना कम है कि तोड़ने की मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है। किसान लाकडाउन के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। अब औने-पौने दाम पर सब्जियों को बेचने को विवश हैं।

लाकडाउन लगने के बाद सब्जी उत्पादकों के खेतों में बाहरी व्यवसायी नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे उनको बेहतर मुनाफा नहीं मिल रहा है। गहमर गंगा किनारे व सायर, रायसेनपुर, भतौरा, लहना, बरेजी गांव की कर्मनाशा नदी के किनारे बड़ी संख्या में किसान बंटाई पर खेत लेकर परवल, लौकी, करैला ककड़ी, खीरा, नाशपाती, तरबूज आदि की खेती करते हैं। उनकी फसल भी तैयार है, लेकिन सब्जियां बाहर की मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है। आसपास के फुटकर विक्रेता भी औने-पौने दाम लगा रहे हैं। ऐसे में किसानों का लागत खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है। 

पहले कर्मनाशा नदी व गंगा नदी के दियारे में हरी सब्जियों व तरबूज की खरीद के लिए सीमावर्ती बिहार, बक्सर, रामगढ़, भभूआ सहित कई क्षेत्रों से व्यवसायी गाड़ी लेकर पहुंचे थे। जो किसानों से दाम निर्धारित कर भिडी, करेला, कदुआ, बोरो, लौकी, परवल, नाशपाती, तरबूज की खरीद करते थे। पिछले दो वर्षों से कोरोना संकट को लेकर लाकडाउन लगने से सब्जी उत्पादक माथा पीट रहे हैं। खेतों में महंगे बीज डालकर तरबूज व हरी सब्जियों का उत्पादन करने वाले सायर गांव के सब्जी उत्पादक ओमप्रकाश यादव, सुरेश प्रसाद, अशोक यादव का कहना है कि फसलों की सिचाई भी महंगी हो गई है। दूसरे जिले व पड़ोसी राज्य बिहार के सब्जी व्यवसायी लाकडाउन के कारण नहीं आ रहे हैं।

आधी हो गई है आमदनी

लाकडाउन लगने से पहले थोक रेट में परवल 30, भिडी, लौकी, कददू व करैला 20 रुपये प्रति किलो बिक्री होती थी। अब बाहरी व्यवसायियों के नहीं पहुंचने के कारण बाजारों में ले जाकर उन्हें 7 रुपया प्रति किलो तरबूज, 10 रुपये प्रति किलो लौकी, पांच रुपये प्रति पीस कददू, 10 रुपये प्रति किलो करैला, 20 रुपये प्रति किलो परवल, 20 रुपये प्रति किलो हरा मिर्च, 10 रुपये प्रति किलो भिडी की बिक्री करनी पड़ रही है। इससे उनकी आमदनी घटकर आधी हो गई है।

कम हो रही सब्जियों की बिक्री

सब्जी उत्पादकों ने बताया कि पांच क्विटल भिडी का उत्पादन करने पर महज पांच हजार रुपए आय हो रही है। जबकि लागत खर्च इससे अधिक है। इससे परिजनों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या गंभीर हो गई है। लाकडाउन लगने के बाद बाजारों में सब्जियों की बिक्री कम हो गई है। लोग बेवजह घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ad Space

uiuxdeveloepr