त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना रविवार को सुबह आठ बजे से शुरू हुई। मतगणना टेबल पर आंख गड़ाए प्रत्याशी और उनके एजेन्ट दोपहरी की कड़ी धूप में एक-एक मतपत्र को निहारते दिखे। कभी आगे तो कभी पीछे के खेल में प्रत्याशी व उनके समर्थकों के दिल की धड़कनें मौसम के पारा के साथ बढ़ती गयीं।
सुबह से ही तेज धूप थी। इसके चलते प्रत्याशी समर्थकों व एजेंटों को काफी दिक्कत हो रही थी। हालांकि करीब 11 बजे से आसमान में बादल व सूर्यदेव के बीच लुका-छिपी के खेल ने समर्थकों को काफी राहत दी। हालांकि कोरोना महामारी से बचाव को लेकर हुए बंदी के चलते समर्थकों, ड्यूटी में तैनात पुलिस व मतगणनाकर्मियों को भूखे-प्यासे रहना पड़ा।
आलम यह था कि शहर में तीन ब्लॉकों के तीन स्थानों पर मतगणना चल रही थी। इस दौरान कुंवर सिंह इंटर कॉलेज के पास सैकड़ों की संख्या में लोग धूप में पानी के लिए भटक रहे थे। वहीं एससी कॉलेज के आस-पास हैंडपम्प नहीं होने से प्रत्याशी व समर्थकों को पेयजल के लिए काफी दिक्कत हुई। जबकि गुलाब देवी इंटर कॉलेज के पास एक आरओ पर इतना भीड़ था कि लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा था। इन सबके बीच कुछ दुकानदार चोरी-चुपके छोटे गेट से बोलत बंद व पानी के पाउच बेंच रहे थे। लेकिन चाय-नाश्ता के एक भी दुकान नहीं खुले थे, लिहाजा लोग भूख से भी तड़पते रहे। पानी व गन्ना के रस बेंचने वाले एकाध ठेलिए थे, जहां खरीदारों की भीड़ लगी रही। सभी लोगों में कोरोना बंदी के चलते काफी दिक्कत हुई।
हिसं रेवती के अनुसार मतगणना के दिन बंदी से चाय पान की दुकानें बंद रही। ऐसे में लोग गंवई राजनीति में रूचि रखने वाले लोग रेवती बाजार से बस स्टैंड तक पानी की तलाश में भटक रहे थे। मोबाइल से सूचनाओ पर हार-जीत का विश्लेषण करते रहे। खास बात यह रहा कि किस गांव में किस प्रत्याशी ने वोटरों को पक्ष में करने पर कितना खर्च किया उसका क्या असर रहा।
हिसं रानीगंज के अनुसार वोटों की गिनती में सबसे बड़ी जिम्मेदारी एजेंट बने प्रत्याशी समर्थकों की थी। धूप व गर्मी के बावजूद उनकी नजर टेबल पर ही टिकी रहीं। कोई भी मतपत्र आंखों से ओझल न होने पाए, इसके लिए मुश्तैद रहे। इस दौरान उतार-चढ़ाव होने पर उनकी भी धड़कनें तेज होती रहीं।