पंचायत चुनाव में उतरने के लिए लोग तरह तरह की जुगत लगा रहे हैं। ऐसा ही मामला वाराणसी में सामने आया है। यहां ओबीसी जाति का प्रत्याशी सीट एससी के लिए आरक्षित होने पर दलित बन गया। सर्टिफिकेट के साथ उसने नामांकन भी कर दिया। प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान मामला खुल गया। तहसीलदार ने मामला पकड़ते ही प्रत्याशी और उसके समर्थक को पुलिस की हिरासत में दे दिया।
मामला आदर्श ब्लॉक सेवापुरी में विकास क्षेत्र भोर कला मनकइया गांव से जुड़ा है। यहां पर ग्राम पंचायत सदस्य के लिए गिरजा शंकर शर्मा और उनके प्रस्तावक मनीष सिंह नामांकन करने पहुंचे थे। गिरजा शंकर शर्मा पिछड़ी जाति से आते हैं लेकिन जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति का लगा दिया था। रिटर्निंग अफसर की नजर जब सर्टिफिकेट पर पड़ी तो उन्होंने प्रत्याशी को पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र लगाने को कहा।
इसी बीच वहां तहसीलदार योगेंद्र शरण शाह पहुंच गए और उन्होंने प्रमाण पत्र को देखा तो पाया कि उस पर एसडीएम राजातालाब का हस्ताक्षर था। जबकि इस तरह के प्रमाण पत्र तहसीलदार स्तर से जारी किए जाते हैं। उन्हें समझने में देर न लगी कि प्रमाण पत्र फर्जी बनाया गया है।
तहसीलदार ने तत्काल प्रत्याशी और उसके समर्थक को हिरासत में लेने का पुलिस को निर्देश दिया। फर्जी तरीके से प्रमाण पत्र जारी करवाने वाले के खिलाफ भी नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश दिया गया है। वहीं, प्रत्याशी गिरिजा शर्मा का कहना है कि प्रमाणपत्र उनके समर्थक मनीष सिंह ने बनवाया था।
मनीष सिंह का कहना है कि मेरे गांव मनकइयां के सहज जन सेवा केंद्र के संचालक बबलू पटेल ने प्रमाणपत्र दिया था। इसके बाद बबलू पटेल के खिलाफ नामजद तहरीर दी है। तहसीलदार राजा तालाब ने मामले को गंभीर बताते हुए मिर्जामुराद थाने की पुलिस को मामले की जांच कर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।