शैक्षिक कैलेंडर के हिसाब से यूपी बोर्ड के स्कूल गुरुवार से खुल गए। केंद्रीय विद्यालय में भी पढ़ाई शुरू हो गई। मिशनरी स्कूल 12 अप्रैल से खुलने वाले हैं। आम वर्षों की तरह स्कूलों में वह रौनक नहीं दिखाई दी, जो पहले दिन नजर आती है। नौवीं से बारहवीं तक के छात्र बुलाए गए थे।
यूपी बोर्ड के स्कूलों के सामने ऊहापोह की स्थिति रही। कारण यह है कि परिषदीय स्कूलों में कक्षा आठ तक के बच्चों को बगैर परीक्षा के प्रमोट कर दिया गया है। मगर माध्यमिक विद्यालयों के लिए अभी ऐसा कोई निर्देश नहीं आया है। पिछली बार माध्यमिक विद्यालयों के लिए अलग से निर्देश जारी किया गया था। विभागीय निर्देश न आने से यूपी बोर्ड के विद्यालयों में नौवीं में एडमिशन नहीं हो पा रहा है। इसलिए नौवीं में कक्षाएं नहीं शुरू हो पा रही है। प्रधानाचार्यों का कहना है कि सरकार को इस व्यवहारिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
स्कूलों के सामने दूसरी बड़ी समस्या यह है कि इस समय दसवीं और बारहवीं के दो-दो बैच हो गए हैं। एक तो वह जो पहले से दसवीं और बारहवीं में है और दूसरा वो जो इस साल नौवीं और ग्यारहवीं पास करके गए हैं। इस प्रकार अधिकतर स्कूलों में नौवीं और ग्यारहवीं की कक्षाएं खाली हैं।
प्रधानाचार्य बोर्ड परीक्षार्थियों के लेकर अधिक चिन्तित नजर आए। उनका कहना था कि बोर्ड परीक्षा के लिए इतनी लंबा प्रिपरेशन लीव अभी नहीं दी जा सकती। छात्र घर पर रहेंगे तो पढ़ाई में शिथिलता आएगी। इसलिए छात्रों को मैसेज भेजकर बुलाया जा रहा है। सुबह 7.30 बजे से 12.30 बजे तक ही स्कूल चल रहे हैं। सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम दिखी। स्कूलों के गेट पर सेनेटाइजर आदि की व्यवस्था की गई थी। कई स्कूलों में रिजल्ट बांटा गया। कार्यालयों से नए सत्र में दाखिले के लिए प्रवेश फार्म का वितरण भी शुरू हो गया है।