उत्तर प्रदेश के महराजगंज डिपो में रोडवेज कर्मचारियों की कमी के चलते दिक्कत खड़ी हो गई है। परिवहन निगम में कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति नहीं से संविदा पर भी लोग नहीं मिल रहे हैं। डिपो में चालकों व परिचालकों के 50 पद खाली हैं। कर्मचारियों की कमी के चलते डग्गामार वाहनों ने परिवहन निगम के यात्रियों पर अपना कब्जा जमा लिया है।
डिपो के बेड़े में परिवहन निगम की 44 बसें हैं। इसके अलावा आठ अनुबंधित बसें भी चल रही है। इन बसों को चलाने के लिए 38 स्थाई व 42 संविदा पर चालकों को नियुक्त किया गया है। पर डिपो में 30 चालकों की कमी है। इसके अलावा 29 स्थाई व 45 संविदा पर परिचालकों को नियुक्त किया गया है। लेकिन डिपो में 20 परिचालकों की कमी के कारण भी व्यवस्था पटरी से नीचे उतर गई है। डिपो में पर्याप्त संख्या में रोडवेज कर्मियों के नहीं होने से कुछ कर्मचारियों के छुट्टी लेते ही वर्कशाप में दर्जनभर बसें खड़ी हो जाती है। परिवहन निगम के एमडी ने एआरएम को अपने स्तर से संविदा पर चालकों की भर्ती करने का निर्देश दिया जा चुका है। पर परिवहन निगम की बस को चलाने के लिए कोई बाहरी चालक तैयार ही नहीं हो रहा है।
225 संविदा कर्मचारियों ने छोड़ दी नौकरी
परिवहन निगम की बसों के संचालन के लिए डिपो में स्थाई के साथ संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में वर्ष 2012 से अब तक 225 संविदा कर्मचारियों को नियुक्त किया जा चुका है। नियुक्ति होने के बाद संविदा कर्मचारियों को वर्षभर में चौरासी हजार किमी चलना पड़ता है। कर्मचारियों को यह रेशियो लगातार पांच वर्ष तक पूरा भी करना पड़ता है। पर संविदा कर्मचारियों को निगम से केवल कमीशन मिलने से अधिकांश लोगों ने नौकरी छोड़ दिया है।
महराजगंज डिपो में चालकों व परिचालकों की कमी के चलते सरकारी बसों का संचालन समय से नहीं हो पा रही है। सीमित संसाधनों से किसी तरह से काम चलाया जा रहा है। डिपो में संविदा पर चालकों की भर्ती करने का निर्देश शासन ने दिया है। पर कोई भी कुशल चालक निगम की बस को चलाने के लिए जल्दी तैयार नहीं होते हैं।