कोरोना के कारण सरकारी अस्पताल की ओपीडी बंद होने मरीज भटक रहे हैं। सही उपचार के अभाव में मरीजों का मर्ज बढ़ रहा है। उपचार के अभाव में लोग अन्य सामान्य बीमारियों से लोग दम तोड़ दे रहे है। जनपद में मंडलीय अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी बंद होने से उपचार नहीं हो रहा है। बीमार लोगों के उपचार में ग्रामीण क्षेत्र के निजी डॉक्टर बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। डिस्पेंसरी पर मरीजो की भीड़ लग रही है।
मंडलीय अस्पताल की ओपीडी करीब 15 दिन से बद चल रही है। उपचार व दवा के लिए दूर -दूर से आ कर मरीज रोज भटकते है। पर्ची काउंटर पर पर्ची के लिए पहुंचते है। अस्पताल की ओपीडी बंद होने से मरीज को पर्ची नहीं मिलती है। कुछ देर भटकने के बाद मरीज अस्पताल से घर लौट जाते है। सामान्य दिनों में यहां पर एक हजार से 12 सौ लोगों की ओपीडी होती थी इस समय सियापा पसरा है।
यही हाल अतरौलिया स्थित सौ सैय्या अस्पताल का भी है। शहर के अधिकतर निजी डॉक्टर भी अपनी ओपीडी बंद कर दिए हैं। बेहतर उपचार के लिए लोग भटक रहे हैं। सामान्य बीमारी के लोगों को उपचार न मिलने से उनकी मौत हो जा रही है। सरकारी अस्पताल पर भटकने के बाद लोग ग्रामीण क्षेत्र के निजी डॉक्टर से उपचार कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में चट्टी चौराहे पर डिस्पेंसरी चला रहे डॉक्टर उपचार की बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की करीब 40 प्रतिशत लोग बुखार, सर्दी, खांसी से परेशान है।