Type Here to Get Search Results !

Recent Gedgets

Trending News

गाजीपुर: सोमवार की सुबह चैत्र अमावस्या को, पति की दीर्घायु को महिलाओं ने रखा व्रत

कोरोना काल में भी महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत रखा और सोमवार की सुबह चैत्र अमावस्या को अपने आसपास के बरगद के पेड़ की परिक्रमा करके पूजन किया। अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को रखा जाता है। महिलाओं ने बरगद के पेड़ के समीप जाकर पूजन किया। इसके लिए सुहगिनों की भीड़ सुबह से रही।

पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख कर सावित्री, सत्यवान, यमराज के साथ वट वृक्ष की पूजा की। कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित नरसिंह पांडेय ने बताया कि जब यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हर लिए तो सावित्री ने उनके मृत शरीर को बरगद के पेड़ के नीचे लेटाया और यमराज के पीछे-पीछे चल दीं। जब यमराज ने उन्हें लौटने के लिए कहा तो सावित्री ने उनसे पति धर्म और मर्यादा को निभाने की बात कही और लगातार पीछे चलती रहीं। माना जाता है कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत के प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुन: जीवित कराया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना जाता है। इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है। 

पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। मान्यता अनुसार इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है। वट अर्थात बरगद का वृक्ष आपकी हर तरह की मन्नत को पूर्ण करने की क्षमता रखता है। पीपल और वट वृक्ष की परिक्रमा का विधान है। इनकी पूजा के भी कई कारण है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व के बोध के नाते भी स्वीकार किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ad Space

uiuxdeveloepr