इलाके में किसान अरहर की तैयार फसलों की कटाई में जुट गये हैं। अरहर की फली में कीट लगने से पैदावार कम होने की आशंका से किसान मायूस नजर आ रहे हैं। गंगा के तटवर्ती बाड़ इलाके में फिरोजपुर से लेकर वीरपुर पलिया के सिवान के अलावा अन्य जगहों पर करीब एक हजार बीघा रकबे में किसानों ने अरहर की खेती की है। पूरे एक वर्ष की मानी गयी अरहर की खेती की बोवाई जुलाई में हो जाती है और अप्रैल में कटाई कर उसकी मड़ाई आदि का कार्य हो जाता है। अरहर की खेती पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है।
इसकी सिचाई नहीं होती, बल्कि खेत में पानी जमा होने पर पौधों में उकठा रोग लग जाता है। बीते वर्ष बाढ़ न आने से अरहर की खेती काफी अच्छी दिख रही थी, लेकिन फसल के दाना लेने के बाद उसमें कीट लगकर चट कर देने से पैदावार पर काफी दुष्प्रभाव दिख रहा है। किसान अरहर के पौधों की कटाई करकर सुरक्षित स्थान, खलिहान आदि जगह पर एकत्रित कर हैं, जिसकी पिटाई व मड़ाई का कार्य होगा। किसान अशोक राय, नीरज गुप्ता, शिवानंद यादव, जीतन राम व विनोद राय आदि ने बताया कि अरहर की बोआई करने के बाद पौधों के देखरेख के नाम पर कीट आदि से बचाने के लिए दवा का छिड़काव किया जाता है। बाढ़ न आने व मौसम अनुकूल होने से इस बार अच्छी पैदावार की उम्मीद थी लेकिन लगातार तापमान बढ़ने से फसल में कीट का प्रकोप हो गया। जिसका असर पैदावार पर पड़ेगा।