जर्जर विद्युत तार व लटक रहे खंभे जी का जंजाल बन गए हैं। इससे आमजन असुरक्षित हैं। क्योंकि यह कब धराशायी हो जाएंगे, कहना मुश्किल है। आरोप है कि सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार अनभिज्ञ हैं। शिकायत पर बजट नहीं होने का रोना रोकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं। तार टूटकर गिर जाने से पूरे फीडर की आपूर्ति घंटों बंद होना आम बात हो गई है। समस्या का निदान नहीं होने से उपभोक्ताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना के तहत चिह्नित गांवों में तो एबीसी तार (तीन तारों वाली मोटी केबल) खींचा गया है, लेकिन अधिकांश जगहों पर नंगे तारों में विद्युत प्रवाह होता है। ऐसे तार आए दिन टूटकर गिर जाते हैं। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है। इस मुश्किल से उबारने को फिलहाल विभाग ने स्थानीय स्तर पर कोई योजना नहीं बनाई है। मौजूदा समय में बकाया बिजली बिल की वसूली पर फोकस है। ग्रामीण अंचल के तियरा-भटरौल मार्ग पर कलवारी, गजधरा, भटरौल तियरा गांव के निकट सड़क के किनारे खंभे लटक रहे हैं। दशकों पूर्व इन खंभों पर लगाए गए तार भी ढीले हो गए हैं।
इसके चलते तार कई स्थानों पर नीचे की ओर लटक गए हैं। हल्के हवा के झोंके से ढीले तार आपस में टकराते रहते हैं। इसके चलते स्पार्किंग होती है, इससे तार अक्सर टूटकर गिर जाते हैं। रात के समय इस तरह की घटना आम बात हो गई है। सितंबर माह में इलिया कस्बा निवासी गजाधर गुप्ता (52) की टूटकर गिरे तार की जद में आने से दर्दनाक मौत हो गई थी। बावजूद इसके विभाग की कुंभकर्णी निद्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है। शहाबगंज में विद्युत विभाग की लापरवाही से उपभोक्ताओं को आए दिन जलालत झेलनी पड़ रही। कस्बा, विकास खंड मुख्यालय, मुरकौल, बड़गावां, तियरा, करनौल, अमरसीपुर सहित आदि गांवों में जर्जर तारों के कारण ट्रिपिग से उपभोक्ता आजिज हैं। कमोवेश यही हालत बबुरी, शिकारगंज, इलिया, चकिया क्षेत्र की भी है। ग्रामीण योगेंद्र सिंह, शंभूनाथ मौर्य, सतीश सिंह, देवेंद्र सिंह, इबरार, मिथिलेश कुमार, अनिल मिश्र ने कहा यदि समय रहते तार व खंभों को दुरुस्त नहीं कराया गया तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है।