देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण का असर रेलवे पर दिखने लगा है। संक्रमण का खौफ इस कदर यात्रियों पर हावी हो गया है कि महानगरों से आनन-फानन में पलायन करने लगे हैं। वहीं वापस लौटने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। इससे अप की अधिकांश ट्रेनों में यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है।
कोरोना के दूसरे फेज की वापसी ने आमजन की परेशानी बढ़ गई है। इसका असर यात्रियों पर दिखने लगा। यात्रियों में खौफ का असर यह है कि कई माह पूर्व कराए आरक्षित टिकट वापसी कराने लगे हैं। हालांकि महानगरों से आने वाली डाउन की ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं दिख रही है। लेकिन अप की ट्रेनों में खासकर मुम्बई, अहमादाबाद, सूरत, दिल्ली आदि जगहों पर जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है। पीडीडीयू स्टेशन पर गुरुवार को राजगीर से नई दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी क्लोन स्पेशल की अधिकांश बोगियों में यात्रियों की संख्या नदरात दिखी।
एक पखवारे में दस लाख की टिकट वापसी
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव का असर रेलवे के अर्थ व्यवस्था पर दिखने लगा है। एक पखवारे में रेलवे को लगभग दस लाख का चपत लग चुका है। आरक्षित टिकट की ब्रिकी से ज्यादा वापसी होने के कारण विभागीय कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। कर्मचारी यात्रियों को टिकट वापसी को लोन लेने लगे हैं।
देश में खासकर महाराष्ट्र व दिल्ली में कोरोना संक्रमण काफी बढ़ जाने से आवागमन करने वाले यात्रियो की परेशानी बढ़ा दी है। महानगरों से यात्री वापसी कर रहे है।कई माह पूर्व कराए गए आरक्षित टिकट यात्री धड़ल्ले से वापस करा रहे हैं। एक पखवारे में दस लाख के आरक्षित टिकट वापस हो चुके हैं। प्रतिदिन 70 से 90 हजार तक के टिकट वापस हो रहे हैं। जबकि आरक्षित टिकट की ब्रिकी 50 से 70 हजार तक सिमटकर रह गई है। वापसी टिकट की संख्या ज्यादा होने के कारण विभागीय कर्मचारी बुकिंग कार्यालय से लोन लेकर यात्रियों के टिकट वापस कर रहे हैं।