स्थानीय तहसील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खजबूज, तजबूज सहित हरी सब्जी की खेती की गयी है। लेकिन इधर कुछ दिनों से चल रही तेज पछुआ हवा व ऊपर से सूर्य की तीखी किरण से जहां खेतों की नमी कम हो रही है, वहीं फसलें भी मुरझाने लगी हैं। इसे देख किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।
क्षेत्र के सायर, राजमल बांध, लहना, बरेजी, देवल, सुरहा, भदौरा, अरगी आदि गांव के किसानों की जीवका अधिक खेती पर ही निर्भर है। वहीं किसान गर्मी की खेती खरबूजा, तरबूजा, ककड़ी, लौकी, नेनुआ, भिंडी, करेला आदि की खेती बड़े पैमाने पर किये हैं। बदलते मौसम की वजह से किसानों की चिंता अपनी फसलों को लेकर बढ़ने लगी हैं। क्योंकि इन दिनों फसलों के लिए मौसम अनुकूल नहीं बन पा रहा है। इन सब फसलों के लिए इन दिनों पुरवा हवा उत्तम माना गया है, क्योंकि पुरवा हवा में नहीं होती है और इन फसलों का बढ़ने में मदद करती है। फसलों में फूल व फल भी लगते हैं, लेकिन 1 हफ्ते से पछुआ हवा बह रही है। इसकी वजह से किसानों की चिंता फसलों को लेकर बढ़ने लगी है।
क्षेत्रीय किसान कन्हैया यादव, सुदामा चौधरी, श्याममोहन चौधरी, नरेंद्र यादव, कृष्णानंद चौधरी आदि किसानों ने बताया कि गर्मी की खेती के लिए मौसम ठीक नहीं हो पा रहा है। सब्जी की खेती के लिए पुरवा हवा सबसे अच्छा होता है, क्योंकि पुरवा हवा होने की वजह से सब्जी की खेती में नमी रहती है। फसलों की सिंचाई में पानी कम लगता है और पौधा तेजी से बढ़ते हैं, पर पछुआ हवा बहने की वजह से फसलें सूख रही हैं। वहीं जमीन की नमी भी कम होती जा रही है। किसान पछुआ हवा के चलते सिंचाई के बाद तुरंत दूसरे दिन भी सिंचाई करनी पड़ रही है। जबकि पुरवा हवा में नमी होती है, इसकी वजह से 3 से 4 दिन बाद ही खेतों की सिंचाई करने पर काम चल जाता है। अगर इसी तरह और कुछ दिन और लगातार पछुआ हवा चलती रही, तो फसल के लिए यह नुकसान दायक भी हो सकता है। इससे किसानों की पैदावार कम हो सकती है। बदलते मौसम के चलते किसान काफी परेशान हैं।