फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आंवला एकादशी व रंगभरी एकादशी आज यानि गुरुवार से मनाया जाएगा। एकादशी में आंवला वृक्ष की पूजा कर भगवान श्रीहरि विष्णु एवं माता महालक्ष्मी का व्रत पूजन किया जाएगा। आज के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराकर काशी आए थे। खरौना के पंडित चंद्रभान बताते हैं कि यह हिदू पंचांग की आखिरी शुक्ल पक्ष एकादशी होती है। पंचांग भेद के कारण इस वर्ष कुछ पंचांगों में आमलकी एकादशी व्रत दो दिन में बताई गई है। उदयातिथि के कारण रंगभरी एकादशी गुरुवार को मनाई जाएगी।
इसी के साथ छह दिवसीय होली के पर्व की शुरुआत हो जाएगी। शिवालयों पर भगवान शंकर की पूजा अर्चना के साथ ही सभी देवालयों पर फाग गायन शुरू हो गया है। रंग-अबीर के साथ फूल की पंखुड़ियों से देवताओं के साथ होली खेलने के साथ ही एक दूसरे पर रंग लगाने की शुरुआत की जाती है। महिलाएं अपने अपने घरों में फगुआ गायन के साथ होली की चिप्स गुझिया और होली विशेष के व्यंजन बनाने में लग जाती हैं। गांव में होलियारों की टोली शाम होते ही ढोल मंजीरे के साथ बैठ जाते हैं। फाग की फुहार लेकर और हंसी ठिठोली, मान मनौउल, प्रेम प्रपंच में भींगे रसभरे गीतों से माहौल को उत्सवनुमा बना दिया जाता है। आओ मिलकर प्रेमरंग से, सबके मन का जहर बुझाए। अमृत भर दें नख से शिख तक, हर चेहरे पर रंगत लाएं।