धूल से सनी राह और बच्चों की उंगली पकड़कर आते-जाते लोगों की भीड़। बच्चों के हाथों में तरह-तरह के खिलौने और बड़ों के हाथ में खाने-पीने और घरेलू उपयोग के सामान। यह नजारा ऐतिहासिक धनुष यज्ञ मेे में करीब-करीब हर रोज नजर आता है। खास बात यह है कि यहां जलेबी संग तरकारी (सब्जी) की अनोखी जुगलबंदी होती है। खास बात यह है कि यह अद्भुत नजारा पूरी दुनिया में सिर्फ यहीं देखने को मिलता है।
उबड़-खाबड़ खेतों को समतल कर लगाये गये सुदिष्टपुरी के धनुषयज्ञ मेले में हर रोज भीड़ पहुंच रही है। शहरी या ग्रामीण इलाकों में लगने वाले अन्य मेलों की तरह यहां भी महिलाओं और बच्चों की भीड़ रहती है। झूला, चरखी के साथ ही खिलौनों व खाने-पीने के सामानों की दुकानों के सामने लंबी कतार लगती है। एक बात अन्य मेलों से हटकर है वह यह कि जलेबी जैसे लजीज व्यंजन संग सब्जी लोग चटखारे लेकर खाते हैं। इलाके के लोगों का कहना है कि इस मेले की यह परम्परा बरसों से चली आ रही है।
बिना सब्जी के जलेबी की बिक्री होती ही नहीं है। वैसे तो ठंड शुरू होने के साथ ही जलेबी का क्रेज अन्य ‘स्वीट डिस पर भारी पड़ता है, लेकिन सुदिष्टपुरी में लगने वाले धनुषयज्ञ मेले में तो जलेबी के साथ तरकारी (सब्जी) की अनोखी जुगलबंदी होती है। यह परम्परा कब से चली आ रही है या फिर इसकी वजह क्या है, इस बारे में कोई भी ठीक-ठीक बता भी नहीं पाता। बुजुर्गों को भी यह ठीक से याद नहीं कि परम्परा की शुरूआत कब से हुई। बस इतना बता पाते है कि बचपन से ही यह देखते आ रहे हैं। इतना तय है कि मेले में जाकर आप जलेबी की डिमांड करेंगे तो साथ में तरकारी ‘फ्री मिलेगी।