थाना परिसर में कबाड़ गाड़ियों के अंबार से थाने की सूरत बिगड़ रही है। लंबे समय तक मुकदमों में लंबित या लावारिस मिलीं सैकड़ों बाइक खानपुर थाना परिसर में धूल खा रही हैं। इन वाहनों की नीलामी नहीं होने से गाड़ियां खड़े-खड़े ही कबाड़ बनती जा रही हैं। बाइक सहित क्षतिग्रस्त चारपहिया वाहन भी थाना परिसर को कूड़ा घर बनाने में भूमिका निभा रहे हैं। खड़ी गाड़ियों में किसी की बैटरी गायब है तो किसी के इंजन। कई बाइक के जरूरी पार्ट्स तो कई गाड़ियां बिना पहिया के ही खड़ीं है।
पुलिस अभिरक्षा में खुले मैदान में खड़े इन वाहनों पर धूल मिट्टी की मोटी परत जम गई है। गंदगी और कलपुर्जों के गायब होने से गाड़ी मालिकों को अपनी गाड़ी भी पहचाननी मुश्किल होगी। जिले के उच्च अधिकारियों सहित ट्रांसपोर्ट कमिश्नर भी थाना परिसर में रखे गाड़ियों को नीलाम कर परिसर स्वच्छ और साफ सुथरा रखने की अपील कर चुके हैं। थानाध्यक्ष जितेंद बहादुर का कहना है कि नीलामी लंबित चलते अदालती प्रक्रिया से गाड़ियां पुलिस थाना परिसर में पड़ी रहती हैं। कई बार चोरी के वाहनों का कोई मालिक सामने नहीं आता और लावारिस बाइकों सहित गाड़ियों के मालिक बीमा कंपनी से गाड़ी की मांग के बाद बरामद गाड़ियों पर दावा नहीं करते हैं।
क्या है नीलामी प्रक्रिया
लावारिस या मुकदमा में वाहन दाखिल होने पर पुलिस को छह महीने के भीतर वाहन स्वामी को नोटिस भेजनी पड़ती है। नोटिस जारी होने के बाद अगर वाहन स्वामी वाहन लेने नही आता या उसे कोर्ट से रिलीज करवाने की प्रक्रिया शुरू नहीं करता तो उसे अदालत की अनुमति लेकर आरटीओ की मदद से पुलिस नीलाम कर सकती है।