लगन खत्म होने के बाद खरमास में खाद्य तेलों में गिरावट की उम्मीद के उलट इस बार कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। कोल्हू वाला सरसों का तेल 160 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। सरसों की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर हैं। सोयाबीन, मूंगफली, ब्रान से लेकर सूर्यमुखी के तेल की कीमतों में भी काफी उछाल आया है।
सरसों की फसल खराब होने से इसकी कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। तीन महीने पहले 4200 से लेकर 4500 रुपये प्रति कुंतल तक बिकने वाला सरसों वर्तमान में 7500 से 7700 रुपये प्रति कुंतल तक बिक रहा है। जानकारों का कहना है कि ऐसे में 150 रुपये प्रति किलो से कम कीमत पर बिकने वाला सरसों का तेल शुद्ध हो ही नहीं सकता। महीने भर पहले 145 रुपये प्रति लीटर की दर से बिकने वाला कोल्हू का तेल वर्तमान में 160 रुपये तक पहुंच गया है। मोहद्दीपुर में कोल्हू का तेल बेचने वाले महेश अग्रवाल का कहना है कि ‘160 रुपये प्रति लीटर की बिक्री पर 5 रुपये की बचत होगी। महंगाई अभी कम नहीं होने वाली है। फरवरी के दूसरे पखवाड़े तक नई फसल आने के बाद ही सरसों की तेल की कीमतें कम होंगी। इस बार अच्छी पैदावार की उम्मीद है हालांकि 15 फरवरी तक लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।’ चेंबर ऑफ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अनूप किशोर अग्रवाल का कहना है कि लगन के बाद कीमतें कम होने की उम्मीद थी। मांग कम होने के बाद भी कीमतें बढ़ने की वजह समझ से परे है।
पाम ऑयल 30 दिन में 20 फीसदी महंगा
आयात होने वाले पाम ऑयल की कीमत बढ़ने से ब्रांडेड सरसों तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। पहली दिसम्बर को 90 रुपये लीटर बिकने वाला पाम ऑयल 110 रुपये पर पहुंच चुका है। तेल कारोबारी संजय सिंघानिया का कहना है कि ‘सरसों के तेल में 20 फीसदी तक पाम ऑयल मिश्रित करने की छूट है। ब्रांडेड कंपनियों को छोड़कर शेष कंपनियां इस अनुपात के मानक का ध्यान नहीं देती हैं। पाम ऑयल सस्ते नहीं होंगे तो ब्रांडेड सरसों के तेल की कीमतें नहीं गिरेंगी। सरसों के तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं।’