राजकीय यूनानी चिकित्सालय कासिमाबाद का अपना भवन नहीं है। ये वर्षों से ग्राम पंचायत बड़ागांव के पंचायत भवन में चलता है, लेकिन अब ग्राम पंचायत ने भी अस्पताल को पंचायत भवन में चलाने से अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। साथ ही पंचायत भवन खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है। इसके कारण चिकित्सालय के स्वास्थ्य कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है।
समस्या यह है कि अस्पताल अब यहां से कहां जाएगा। स्वास्थ्यकर्मियों के साथ ग्रामीण व मरीज भी परेशान हैं। पंचायत भवन के कमरों से दवा और अस्पताल का सामान निकालकर बाहर हाल में रख दिया गया है, जिसके कारण नमी व हवा लगने से लाखों रुपए की दवाएं खराब हो रही हैं। चार बेड का यह अस्पताल फार्मासिस्ट रफीउल्लाह अंसारी व चपरासी जुमराती के भरोसे चलता है। दुर्घटना में घायल होने के कारण फार्मासिस्ट रफीउल्लाह एक माह से अस्पताल नहीं आ रहे हैं जिसके कारण मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है और दवाई नहीं मिल पा रही है। बड़ागाव के पंचायत भवन में चल रहे इस अस्पताल की स्थिति काफी जर्जर है।
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ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल राम भरोसे ही चल रहा है। जब से फार्मासिस्ट छुट्टी पर हैं तब से अस्पताल में डाक्टर के दर्शन बहुत कम होते हैं। इसे लेकर ग्रामीणों व मरीजों में काफी आक्रोश है। अगर यह अस्पताल पंचायत भवन से हट जाएगा तो कहां संचालित होगा कुछ पता नहीं। ग्रामीण अब्दुल अली, मुजम्मिल, कृष्णानंद प्रजापति व सगीर अंसारी ने बताया कि अस्पताल में पर्याप्त दवा नहीं है। मरीजों की बैठने की व्यवस्था नहीं है। यह अस्पताल बड़ागांव के पंचायत भवन में चलता है जिसमें पहले से ही भारतीय समाज पार्टी का कार्यालय है। कई बार इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई लेकिन कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया। मांग किया कि अस्पताल को स्थायी भवन या सोनबरसा के जच्चा-बच्चा केंद्र में शिफ्ट किया जाए ताकि क्षेत्र के लोगों को इसका लाभ मिल सके। सोनबरसा के ग्राम प्रधान नन्हें गुप्ता ने बताया कि हमारे यहां का पंचायत भवन व जच्चा बच्चा केंद्र खाली है। अगर यूनानी विभाग चाहे तो अस्पताल को वहां शिफ्ट किया जा सकता है। इससे लोगों को काफी सहूलियत मिलेगी। क्षेत्रीय यूनानी अधिकारी डा. नियाज अहमद ने बताया कि अगर जमीन उपलब्ध होती है तो विभाग अस्पताल के लिए भवन निर्माण कराएगा। फिलहाल अस्पताल को कहीं और स्थानांतरित करने पर विचार किया जा रहा है।