इलाके में हो रही सब्जी की खेती रोजगार का सबसे बड़ा जरिया साबित हो रही है। जहां किसान सब्जी की खेती कर मालामाल हो रहे हैं वहीं इससे हजारों मजदूरों के परिवार का भरण पोषण हो रहा है। इलाके के शेरपुर, सेमरा, वीरपुर, लोहारपुर, पलिया, अवथही, फखनपुरा, सोनाड़ी, मलसा, मलिकपुरा, जोगामुसाहिब, लौवाडीह, खरडीहा सहित विभिन्न गांव के सिवान में करीब छह हजार बीघे में हरा मटर, टमाटर, मिर्च की खेती की गई है। इस समय टमाटर, हरा मिर्च व मटर की पैदावार शुरू हो जाने से उसकी तोड़ाई का कार्य शुरू हो गया है।
इस कार्य में अधिकतर महिला मजदूर ही योगदान करती हैं। मजदूरी के लिए नोनहरा, शहबाजकुली, गौसपुर, हरिहरपुर, तिवारीपुर, जकरौली, आबादान उर्फ बैरान, कोटवा नरायनपुर सहित अगल बगल के गांवों की बड़ी संख्या में महिला मजदूर करइल व बाड़ इलाके के सिवानों में पहुंच रहीं हैं। यही नहीं कई काश्तकार तो अपना साधन भेजकर महिला मजदूरों को अपने खेतों तक मंगाते हैं और काम समाप्त होने पर उनके घरों तक पहुंचाते हैं। किसानों के मुताबिक एक झाल (बड़ा बोरा) मटर तोड़ने पर 180 रुपये मजदूरी दी जाती है।
मजदूरी के अलावा खेतों में नाश्ता-पानी भी
मजदूरी के अलावा खेतों में नाश्ता-पानी भी दिया जाता है। नोनहरा की रमदेईया, शहबाजकुली की शुगनी, बैरान की मंजूषा, बाराचवर की गुड़िया ने बताया कि उनके इलाके में आलू, गेहूं की खेती होने से इस समय खेत में कोई काम नहीं मिलता। करइल इलाके में सब्जी के खेतों में इस समय काम मिलने से उनको मजदूरी की समस्या नहीं होती। वह मजदूरी करके अपने व बच्चों का पालन पोषण कर लेती हैं। बताया कि इस खेती काफी गरीब लोगों का गुजर बसर हो रहा है।