सादात ब्लाक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत मिर्जापुर (जमखा) में करीब तीन हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। गुरुवार को बीएचयू की पुरातत्व टीम गांव पहुंची और खोदाई कर अवशेषों को एकत्र किया। यह अवशेष मौर्य काल के बताए जा रहे हैं।
बीएचयू पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विनय कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय शोधार्थी टीम मिर्जापुर में पहुंच कर पूर्व प्रधान किशोर यादव के साथ दिन भर जांच में जुटी रही। टीम द्वारा जमखा के कुछ खेतों व एक पुराने टीले पर खोदाई कर दर्जन भर से ज्यादा महत्वपूर्ण अवशेष एकत्र किए गए। इनमें एकल सांचे में ढली एक प्रतिमा, धड़ से टूटी हुई देवी की अलंकृत प्रतिमा, ब्लैक पाटरी, मृदभांड, कौड़ी, सील-लोढ़ा, काफी चौड़ी ईटों सहित कई मिट्टी के बर्तन आदि मिले हैं। सभी अवशेषों को पुरातात्विक टीम सहेज कर अपने साथ ले गई। प्रो. विनय कुमार ने बताया कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में खनन के लिए पुरातात्विक विभाग से स्वीकृति ली जाएगी। टीम में परमदीप पटेल, आदित्य राय व रोशबहादुर आदि थे।
इंजीनियर अशोक ने दी सूचना
पूर्व प्रधान किशोर यादव के बड़े पुत्र अशोक यादव जो कि अरुणाचल प्रदेश में सिचाई विभाग में इंजीनियर हैं, गांव आने पर आजमगढ़ की सीमा से सटे उदंती नदी के किनारे उनको कुछ महत्वपूर्ण अवशेष मिले। इसके बाद बीएचयू की पुरातत्व टीम से संपर्क किया।
यहां मिली ब्लैक पाटरी तकरीबन तीन हजार साल पुरानी संभवत: मौर्य काल के समय की हैं। एकल व डबल सांचे में ढाली हुई अलंकृत प्रतिमा, शुंग काल की दो हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के अवशेष हैं। नि:संदेह इस क्षेत्र की मानव सभ्यता काफी पुरानी है।