डाफी टोल प्लाजा पर रविवार दोपहर बाद तीन से चार बजे तक फास्टैग लेन में ट्रायल रन हुआ। इस दौरान हाइवे पर दो किलोमीटर लंबा जाम लग गया। ट्रायल रन के दौरान फास्टैग लेन से 154 गाड़ियां गुजरीं जबकि 115 गाड़ियां कैश लेन से पास हुईं। पांच दिनों के दौरान फास्टैग गाड़ियों की संख्या 46 प्रतिशत से 52 प्रतिशत पहुंच गई है।
रविवार को फास्टैग सेंसर की स्कैनिंग क्षमता की भी जांच की गई। फास्टैग स्केन न करने के कारण पूरे दिन चालकों और टोल के कर्मचारियों में नोकझोंक होती रही। एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर नागेश सिंह ने बताया कि फास्टैग लेन से गुजरने वाली गाड़ियों की संख्या में लगातार वृद्वि हो रही हैं। स्थानीय लोग चिप लगवाने के लिए तैयार नहीं होते और विवाद करते रहते हैं।
फास्टैग चिप बेचने के लिए टोल प्लाजा पर अलग अलग बैंकों के चार काउंटर खुले हैं, लेकिन खरीददार ही नदारत हैं। रविवार को 45 चिप की बिक्री हुई। टोल प्लाजा से प्रतिदिन 16 से 18 हजार गाड़ियां गुजरती हैं। इनसे 24 घण्टे में करीब 45 से 50 लाख रुपये की वसूली की जाती है। टोल प्लाजा 16 लेन बनने का काम पूरा नहीं होने कारण गाड़ियों की संख्या पिछले दस साल में पांच हजार से बढ़कर 18 तक पहुंच गई। लेकिन सर्विस पुराने 9 लेन से ही चल रही है।
हाइवे की पटरियों पर गड्ढे
डाफी टोल प्लाजा से विश्वसुंदरी पुल तक हाइवे की दोनों पटरियां गड्ढे में तब्दील हो गईं हैं। जबकि एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर नागेश सिंह ने कहा कि जाम का मेन कारण ओवरलोड वाहन बन गए हैं। चालक गाड़ियों को विश्वसुंदरी पुल चढ़ाने के बाद किनारे खड़ी कर देते हैं। इस कारण जाम लग रहा है।