सारनाथ में तीन दिनों से चर्चा का विषय बना धरती का कंपन दूसरे दिन बुधवार को भी बंद रहा। जिससे दुकानदारों व स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली। स्थानीय लोगों का मानना है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से की जा रही जलापूर्ति के प्रेशर के कारण ही कंपन हो रहा था। मंगलवार की दोपहर 12 बजे से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से कम प्रेशर में जलापूर्ति किये जाने के बाद कंपन बंद हुआ जो बुधवार को पूरे दिन बंद रहा । इस सम्बंध में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के अभियंता इनकार कर रहे हैं कि पानी का प्रेशर कम होने से कंपन बंद हुआ है। जांच के बाद कारण स्पष्ट हो पायेगा।
बुधवार की शाम 4 बजे प्लांट से पानी सप्लाई करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियर अनिल कुमार व ऑपरेटर जितेंद्र ने कंपन वाली जगह पर पहुंचकर कंपन की स्थिति की जानकारी ली। कंपन नहीं हो रहा था। वही क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि प्रेशर कम होने से कंपन बंद हुआ है। इस बारे में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के मेकेनिकल इंजीनियर अनिल कुमार का कहना है कि पानी छोड़ने की क्षमता 2500 ऐम क्यू के प्रेशर से पानी छोड़ते हैं जो बराबर इसी क्षमता से छोड़ा जाता है।
सोमवार को अचानक तिब्बती बौद्ध मंदिर से आगे जापानी बौद्ध मंदिर मोड़ स्थित तिराहे पर सुबह धरती कांपने लगी। यह देख पूरे दिन दुकानदार और स्थानीय लोग भय के साये में रहे। दुकानों से बाहर निकल कर लोग भूकंप का आंकलन करने लगे। इस दौरान दुकानों के शटर, गाड़ियां, बेंच, कुर्सियां और बोतल में पानी भी बहुत तेजी से कंपन करने लगा। शटर से तेज आवाजें भी आने लगीं तो किसी अनहोनी की आशंका में लोग घबराकर दूर भाग खड़े हुए। लेकिन दिनभर यही हाल रहने और ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी हलचल खत्म नहीं हुई तो लोगों की चिंता काफी बढ़ गई और दिनभर लोग भूकम्प का अनुभव लेने सारनाथ आने लगे।
कुछ लोगों का कहना है कि यहीं से एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की मोटी पाइप गुजरती है, जिसमें लीकेज की संभावना हो सकती है। हालांकि, रात तक यह कंपन का दौर थमने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं पुरातात्विक महत्व के स्थल के पास यह भूकम्पीय स्थिति होने से स्थलों के संरक्षण पर भी लोग सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर धरती के नीचे चल क्या रहा है जो लोगों को दहशत में रखे हुए है।