जमानियां क्षेत्र के लहुआर गांव में बुधवार रात ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले मजदूर की झोपड़ी में संदिग्ध हाल में आग लग गयी। इसमें उसके तीन बच्चे जिंदा जल गये। आग में घिरे बच्चों को बचाने में मां-बाप झुलस गये। बुरी तरह झुलसी मां को वाराणसी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। बच्चों की मौत से पूरे गांव में मातम छा गया। उधर, गुरुवार सुबह मौके पर पहुंचे अफसरों ने जांच-पड़ताल की लेकिन झोपड़ी में आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका। गांववालों का कहना है कि चिंगारी से झोपड़ी में आग लगी। पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
हिसं जमानियां के मुताबिक चंदौली में दिग्गी गांव निवासी बबलू बनवासी यहां लहुआर गांव में ईट-भट्ठे पर मजूदरी करता है। बुधवार रात खाना खाने के बाद वह अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ झोपड़ी में सो रहा था। आधी रात में अचानक उसकी झोपड़ी में संदिग्ध हालात में आग लग गई। उसे जब तक जानकारी होती तब तक आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी। वह अपने बेटे डमरू (03) को गोद में लेकर शोर मचाते हुए भागा। इस दरम्यान डमरू बुरी तरह झुलस चुका था।
बबलू की पत्नी भगरती देवी भी भागते वक्त काफी हद तक जल गयी। झोपड़ी में सो रही उसकी बेटी 13 वर्षीया पूजा और बेटे चंद्रिका (07) को भागने का मौका ही नहीं मिला। दोनों बच्चे मौके पर जिंदा जल गये। उधर, अस्पताल ले जाते समय डमरू ने रास्ते में दम तोड़ दिया। गंभीर रूप से झुलसी भगरती देवी को इलाज के लिए वाराणसी ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। गुरुवार सुबह मौके पर पहुंचे सीओ हितेंद्र कृष्ण, कोतवाली प्रभारी राजीव कुमार सिंह ने झोपड़ी में आग लगने के कारणों की छानबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चला।