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जलवायु परिवर्तन: उत्तर पश्चिम में 23 दिन ज्यादा सक्रिय रहा मानसून फिर भी कम हुई बारिश

क्या जलवायु परिवर्तन मानसून पर भी असर डाल रहा है? मानसून की चाल में जिस प्रकार के बदलाव आ रहे है, वह चिंताजनक है। मौसम विभाग द्वारा 2020 के मानसून को लेकर तैयार एक रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मानसून पूरे देश में समय से 12 दिन पहले छा गया और गरीब 11 दिन देरी से छंटना शुरू हुआ। इसका मतलब यह है कि इस साल मानसून की समयावधि देश के उत्तर पश्चिमी हिस्से में 23 दिन ज्यादा रही। लेकिन इसके बावजूद उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश कम हुई।

मौसभ विभाग ने अपने विश्लेषण में कहा है कि 2020 में सामान्य से 109 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। यह पिछले सौ सालों में अब तक का तीसरा सर्वाधिक बड़ा रिकार्ड है। 1994 में 112 फीसदी और 2019 में 110 फीसदी बारिश हुई थी। जलवायु परिवर्तन के चलते ज्यादा गर्मी और ज्यादा बारिश की घटनाए आम है।

यह रिपोर्ट मानसून के पैटर्न में कई बदलावों की ओर संकेत करती है। मसलन पूर्वोत्तर में सबसे ज्यादा बारिश होती थी लेकिन वहां बारिश घट रही है। दक्षिण में सबसे ज्यादा 130 फीसदी, मध्य में 115 फीसदी बारिश रिकार्ड की गई है। जबकि पूर्वोत्तर में 106 फीसदी बारिश हुई। उत्तर पश्चिम भारत में जहां मानसून 23 दिन ज्यादा समय तक इस बार टिका वहां बारिश सामान्य के 84 फीसदी ही हो पाई।

इसी प्रकार मानसूनी बारिश अच्छी होने के बावजूद उसका वितरण खराब है। कई इलाकों में जरूरत से ज्यादा बारिश हुई और कई जगह कम। यह रिपोर्ट बताती है कि 36 में से 16 संभागों में ही सामान्य बारिश हुई। ये संभाग देश के सिर्फ 45 फीसदी भूभाग को कवर करते हैं। जबकि 15 संभागों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। ये संभाग देश के 40 फीसदी हिस्से को कवर करते हैं। इसमें से पांच फीसदी हिस्सा ऐसे था जहां बहुत ज्यादा बारिश हुई। इसके बावजूद पांच संभागों यानी करीब 15 फीसदी हिस्सा सूखे की चपेट में रहा।

मानसून के चार महीनों में सबसे ज्यादा बारिश जून के महीने में कम बारिश होती है लेकिन जुलाई अगस्त में ज्यादा बारिश होती है। तथा सितंबर में फिर कम होती है। लेकिन इस पैटर्न में भी बदलाव देखा गया है। जून में 118 फीसदी, जुलाई में 90 फीसदी, अगस्त में 127 तथा सितंबर में 104 फीसदी बारिश हुई है। जुलाई में कम बिरश होना चिंताजनक है।

मानसून केरल से एंट्री करता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में छा जाता है। लेकिन इस बार 12 दिन पहले ही यानी 26 जून को ही पूरे देश में छा गया। इसी प्रकार 17 सितंबर से उत्तर भारत से मानसून छंटना शुरू हो जाता है लेकिन इस बार यह 28 सितंबर से आरंभ हुआ। यानी करीब 11 दिनों के विलंब से मानसून विदा हुआ। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जून के पहले सप्ताह में निसाग्रा तूफान की वजह से भी मानसून की रफ्तार तेज हुई हो सकती है।

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