स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा का दंश झेल रहा स्थानीय मातृ-शिशु कल्याण उपकेंद्र एवं स्वास्थ्य निरीक्षिका आवास अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। जर्जर भवन होने के चलते यहां पर कोई कर्मचारी नहीं रहता जिसके चलते कस्बा सहित आस पास के एक दर्जन गांव के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अस्पताल वर्षों से जर्जर अवस्था में है। ऐसे में मरीज को इलाज के लिए मऊ, कासिमाबाद जाना पड़ता है जिससे मरीजो के जान पर बन आती है। आवासीय अस्पताल होने के बाद भी किसी कर्मचारी के नहीं होने से अस्पताल की चहारदीवारी पीछे से धराशाई हो गई है। अराजक तत्व खिड़की, दरवाजा तोड़कर लेकर चले गए। परिसर में झाड़ झंखाड़ उग आया है। कर्मचारी तो पहले घर घर जा कर अपनी सुविधा देते थे, लेकिन अब तो उनकी कोई खोज खबर ही नहीं है जिसके चलते महंगे इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है।
इसकी शिकायत पत्र के माध्यम से उच्च अधिकारियों को दी गई, लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुधि नहीं ली। एएनएम सावित्री देवी ने बताया कि सुपरवाइजर कमली यादव की ड्यूटी है, लेकिन जर्जर अवस्था में अस्पताल होने के चलते अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र देवली में हम लोग रह रहे हैं। महिला मरीज अनीता देवी, हुस्ना खातून, ललिता व बेचनी देवी का कहना है कि मातृ-शिशु कल्याण केंद्र बंद होने के कारण नौनिहालों को टीकाकरण के लिए कासिमाबाद अस्पताल ले जाना पड़ता है जिससे आने जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।