क्षेत्र में शीतलहर बढ़ रही है। बहुत जरूरी होने पर ही लोग बाहर निकल रहे हैं। वहीं बुजुर्ग व बच्चे तो घरों में दुबके रहे। सोमवार की सुबह घना कोहरा छाया रहा। दृश्यता काफी कम होने के कारण लोगों को रास्ता साफ नहीं दिख रहा था। हेडलाइट के सहारे सड़कों पर वाहन चल रहे थे। कंपकंपा देने वाली ठंड में राहगीरों को कहीं अलाव भी नसीब नहीं हो रहा था क्योंकि प्रशासन की तरफ से इसकी व्यवस्था ही नहीं हुई है। कड़ाके की ठंड में गरीब तबका व बेसहारा पशु सबसे ज्यादा परेशान हैं। गरीबों के पास कंबल एवं गर्म कपड़े तक नहीं हैं और अलाव न जलने से मुसीबत बढ़ गई है। उधर सुबह लगभग 11 बजे भगवान भास्कर के दर्शन देने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
सोमवार को अधिकतम 18.7 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 7.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। हवा की गति 5 से 6 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। फिलहाल अभी एक दो दिन हल्के बादल छाए रह सकते है और बारिश की कोई संभावना नहीं है। आगामी दिनों में ठंड बनी रहेगी।
शरीर को सुरक्षित रखना बेहतद जरूरी
खानपुर : चिकित्सक रजनीश यादव का कहना है कि तापमान में तेजी से गिरावट के कारण शरीर को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। कोहरा और ठंड दिल के रोगियों के लिए सबसे खतरनाक है। जब भी रजाई या गर्म बिस्तर से बाहर निकलना हो तो बाहरी तापमान से संतुलन बनाकर ही निकलें। मार्निंग वाक से जहां तक संभव हो परहेज कर घर में योग करें। गर्म कपड़ों को पहनें रहें। इस समय छोटे बच्चे भी तेजी से बीमार पड़ रहे हैं।
मां व बच्चे बरतें एहतियात
खानपुर अस्पताल के डा. सौरभ सोनकर का कहना है कि तापमान में कमी आने का सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। इसलिए जरुरी है कि परिवार के लोग एहतियात बरतें। बच्चों को ठंडे पानी के बजाय गुनगुना पानी पिलाएं। नहलाने के लिए भी इसी पानी का इस्तेमाल करें। दूध पिलाने वाली माताएं बच्चों के साथ अपने को भी गर्म कपड़ों में ढंक कर रखें। किसी भी रोग की संभावना होने पर फौरन बच्चों को विशेषज्ञ चिकित्सक के पास ले जाएं।