संगम तट पर माघ मेला लगने में कुछ ही दिन रह गए हैं। मेला के दौरान संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयारियां भी तेज हैं। स्थानीय लोगों ने भी सेवा सत्कार के लिए तैयारियां कर ली हैं। भोजन-प्रसाद बनाने में परेशानी न हो इसके लिए गोबर के उपले और मिट्टी के चूल्हे आदि भी बनकर तैयार हैं। इन्हें इंतजार है केवल श्रद्धालुओं के आगमन की।
सेवा और सत्कार के लिए स्थानीय लोग भी रहते हैं तैयार
तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और अदृश्य सलिला मां सरस्वती की त्रिवेणी में पुण्य की एक अदद डुबकी लगाने को श्रद्धालुओं का रेला जल्द दिखाई देने लगेगा। माघ मेला के दौरान मास पर्यन्त यहां वास करने वाले कल्पवासी तो पहले से आ जाते हैं और संगम की रेती मेें रहकर प्रभु भक्ति में लीन होकर काया कल्प करने की कामना करते हैं। इनकी सेवा के लिए स्थानीय लोग भी तैयार रहते हैं।
कल्पवासियों और अन्य श्रद्धालुओं को भजन-पूजन, स्नान-दान के साथ भोजन, प्रसाद आदि तैयार करने में कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए सरकार की तैयारी के अलावा स्थानीय लोग भी तैयारी कर रहे हैं। गंगा किनारे आबाद दारागंज मुहल्ले के नीचे बड़ी संख्या में उपले व मिट्टी के चूल्हे आपको दिख जाएंगे जिन्हें बनाने में पूरा परिवार जुटा हुआ है। इसमें महिलाओं और बच्चों की भागीदारी अधिक है।
मिट्टी के चूल्हे पर भोजन प्रसाद बनाते हैं कल्पवासी