पूर्वांचल की आबोहवा सारस क्रेन को खूब भा रही है। वे अब यहां पर अपनी आबादी बढ़ाने में रुचि दिखाने लगे हैं। एक साल में यह आबादी 15 प्रतिशत बढ़ गई है। यह खुलासा हुआ है वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से। ट्रस्ट पूर्वांचल के उन 10 जिलों की पिछले सात साल से निगरानी रख रहा है जहां सारस क्रेन की संख्या लगातार बढ़ रही है।
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) की रिपोर्ट के अनुसार निगरानी वाले जिलों में इस समय सारस क्रेन की संख्या बढ़कर 2385 तक पहुंच गई है। जो कि पिछले साल की संख्या 2087 से तकरीबन 15 फीसदी अधिक है। सारस क्रेन की गिनती 27 जून 2020 को की गई थी। सड़क और वेटलैंड के निकट हुए इस सर्वेक्षण में 100 की संख्या में लोग लगाए गए थे। डब्ल्यूटीआई का मानना है कि लॉकडाउन नहीं होता तो शायद यह संख्या और भी ज्यादा होती। पर्यावरण एवं वन्यजीव के क्षेत्र में काम करने वाली हेरिटेज फाउंडेशन नरेंद्र कुमार मिश्र का कहना है कि सारस क्रेन की बढ़ती आबादी भविष्य के प्रति अच्छा संदेश है।
पूर्वांचल के इन 10 जिलों में 7 वर्षों से निगरानी : संस्था पूर्वांचल के दस जिलों बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और शाहजहांपुर में सर्वेक्षण कर रही है। इस बार इन 10 जिलों में 58 वेटलैंड पर निगरानी की गई जहां सारस क्रेन की आमद होती है। बहराइच, बलरामपुर में 4-4, बाराबंकी में 6, फैजाबाद में 5, कुशीनगर में 8, महराजगंज में 17, संतकबीरनगर 01, श्रावस्ती 04, शाहजहांपुर 02 और सिद्धार्थनगर 07 वेटलैंड पर निगरानी रखी गई। सारस केन का ब्रीडिंग सीजन जून से शुरू हो जाती है। जुलाई-अगस्त माह में अण्डे से बच्चे निकलते हैं। डब्ल्यूटीआई ने जुलाई-अगस्त माह में घोसलों का सर्वेक्षण किया। टीम को 117 घोसले में 234 अण्डे मिले जिनमें 231 से बच्चे निकले।