वाराणसी में राजराजेश्वरी मंदिर के महंत (103 वर्षीय) शिवशंकर भारतीय उर्फ भारतीय स्वामी ने छह दिन में ही कोरोना को मात दे दी। उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल का दावा है कि वह देश के ऐसे पहले वयोवृद्ध पॉजिटिव हैं, जो स्वस्थ हुए हैं।
इसी माह पुणे में रहने के दौरान उनकी तबीयत खराब होने पर भारतीय स्वामी को वहां के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह अस्पताल में कोरोना से संक्रमित हो गए। 14 दिसम्बर को उन्हें पुणे से लाकर बीएचयू अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों की विशेष निगरानी में उनका इलाज हुआ। छह दिन में स्वस्थ होने पर लोगों ने उन्हें बधाई दी।
बुजुर्ग संन्यासी को लोग कहते हैं ‘चलते-फिरते विश्वनाथ
राजराजेश्वरी मंदिर के महंत भारतीय स्वामी विगत 60 साल से काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिदिन की मंगला आरती और भोग आरती में शामिल होते हैं। लॉकडाउन में जब सभी मंदिर आम लोगों के लिए बंद थे, मंदिरों में अर्चक ही पूजा करते थे, उस दौरान भी विश्वनाथ मंदिर में शिवशंकर भारतीय को आने की अनुमति थी। वह कभी आरती नहीं छोड़ते हैं। उनकी आस्था को देखते हुए लोग उन्हें ‘जीवित विश्वनाथ कहते हैं। सरसुंदर लाल अस्पताल के डिप्टी एमएमस प्रो. सौरभ सिंह ने कहा कि भारतीय स्वामी को भर्ती होने के बाद लगातार पांच दिनों तक रेमेडेसिविर इंजेक्शन दिया गया। खून का थक्का रोकने के साथ एंटी वायरल दवाएं भी दी गईं। हर समय पर उन पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी। प्रो. सौरभ सिंह ने कहा कि हमारे पूरे स्टाफ के सहयोग से उन्होंने कोरोना को मात दी है। वर्तमान में उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। पुणे में तबीयत बिगड़ने के बाद भारतीय स्वामी को चार्टर प्लेन से बनारस लाया गया था। इनके कई भक्त देश के विभिन्न हिस्सों में उच्च पदों पर हैं। दो-तीन पहले डीएम कौशलराज शर्मा ने भी बीएचयू अस्पताल में जाकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।