राजद ने पहले चरण के प्रत्याशियों के चयन में जातिगत गणित का पूरा ध्यान रखा है। मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण को साधने के साथ ही पार्टी ने दलितों, अति पिछड़ों पर भी फोकस किया है। सर्वाधिक 19 टिकट यादव प्रत्याशी उतारे गए हैं। रालोसपा के महागठबंधन से रालोसपा के अलग होने के बाद कोइरी समाज को भी साधने की कोशिश की गई है। इसके अलावा खुद को पुरानी इमेज से उबारने के लिए ए टू जैड की पार्टी होने का संदेश देने की भी कोशिश की है। टिकट वितरण में राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और वैश्य समाज को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है।
महागठबंधन के लिए पहले चरण का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले चुनाव में इन 71 में से 54 सीटें महागठबंधन के पास थीं। उसमें भी राजद के लिए इसका महत्व और अधिक है। पार्टी के यहां से 25 विधायक थे। राजद को इस चरण में 41 सीटें मिली हैं। जिन प्रत्याशियों को सिंबल दिए गए हैं, उनमें से 20 यादव हैं। हालांकि इसमें से चैनपुर सीट पर कांग्रेस के साथ पेंच फंस गया है। वहां से भोला यादव को सिंबल मिला था। पार्टी ने इस बार टिकट वितरण में अपने बेस वोट को बचाने की कवायद के साथ ही दूसरे वोट बैंक में भी सेंधमारी के लिहाज से प्रत्याशियों का चयन किया है।
बांका और रफीगंज से मुस्लिम चेहरे उतारे हैं। जबकि मोकामा से चर्चित निर्दलीय विधायक अनंत सिंह को टिकट देकर सबको चौंका दिया है। रामगढ़ से सुधाकर सिंह को टिकट दी गई है, जो राजपूत हैं। हालांकि उन्हें जाति से ज्यादा अपने पिता और राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद के नाम का लाभ मिला है। इसी तरह शाहपुर सीट राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को मिली है। उसे ब्राह्मण कोटे की सीट माना जा सकता है। पार्टी ने कोइरी जाति के तीन प्रत्याशियों को टिकट देकर उपेंद्र फैक्टर को भी साधने का प्रयास किया है। इसके अलावा आठ अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। तीन टिकट देकर राजद ने ईबीसी यानि अति पिछड़ा वोट बैंक में भी सेंधमारी की जुगत भिड़ाई है।